फर्ज के आगे हारा डर, खुद से अधिक जहान की चिंता
महराजगंज: कहते हैं डाक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं। कोरोना काल में जब अपने ही दूरी बना लिए थे तो उस समय चिकित्सक खुद की परवाह किए बगैर सेवा दे रहे थे। फर्ज के आगे उनका डर हार गया। उन्हें खुद से अधिक जहान की चिंता थी। ये थके बगैर अपनी ड्यूटी पर डटे और लोगों की जान बचाने में जुटे रहे। ऐसा ही एक नाम है पीएचसी धौरहवा सोनौली के डा.राजीव कुमार शर्मा का।
कोरोना की पहली लहर के बढ़ते संक्रमण के बीच 24 घंटे सेवा देने के क्रम में डा.राजीव स्वयं संक्रमित हो गए। इस बीच मां गुलाइचा देवी की मृत्यु भी हो गई, लेकिन हिम्मत नहीं हारे और चिकित्सा सेवा जारी रखे और आज भी लोगों की सेवा कर रहे हैं। राजीव गांधी पीजी कालेज नौतनवा क्वारंटाइन सेंटर पर एक तथा सोनौली बार्डर पर एक नेपाली नागरिक की जब कोरोना से मृत्यु हुई थी तब भी उन्होंने दोनों नागरिकों के शव को सील कर अग्रिम कार्रवाई में विशेष योगदान दिया।
डा.राजीव कुमार शर्मा नौतनवा ब्लाक के कोविड नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इनकी देखरेख में अब तक ढाई लाख टीकाकरण व डेढ़ लाख लोगों की कोविड जांच कराई गई है। चार टीमों के साथ सोनौली बार्डर पर सुबह छह से रात 10 बजे तक जांच व टीकाकरण का कार्य आज भी प्रगति पर है।
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नेपाली नागरिकों की सेवा में निभाई अहम भूमिका
22 मार्च वर्ष 2021 को भारत-नेपाल सीमा सील होने पर नेपाल ने अपने ही नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी। उस दौरान भारतीय क्षेत्र के नौतनवा व सोनौली में छह क्वारंटाइन सेंटर पर करीब पांच हजार नेपाली नागरिकों को ठहराया गया, उनके बीच लोग जाने से घबराते थे, ऐसे में डा.राजीव ने समय-समय पर जांच, दवा व देखरेख में अहम भूमिका निभाई।
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कोरोना काल में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों ने खुद की चिंता किए बिना काफी बेहतर कार्य किया है। इससे स्वास्थ्य सेवा की एक बेहतर छवि समाज में सामने आई है।
डा.एके श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधिकारी