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अब तराई में नहीं बह रही दूध की धारा

जिले में पहले 190 दुग्ध समितियां पंजीकृत थी। इनसे प्रत्येक दिन 1400-1500 लीटर दूध का उपार्जन होता था। लेकिन गुजरते समय के साथ समितियां विभाग और बाजार मूल्य में अंतर होने के कारण इस कारोबार से मुंह मोड़ती गईं। लिहाजा नौतनवा फरेंदा पनियरा चौक और घुघली मार्ग पर कलेक्शन बंद करना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 01:10 AM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 01:10 AM (IST)
अब तराई में नहीं बह रही दूध की धारा
अब तराई में नहीं बह रही दूध की धारा

महराजगंज: दुग्ध उपार्जन के क्षेत्र में कभी समृद्ध रहा महराजगंज जनपद अब उपेक्षा की मार झेल रहा है। धीरे-धीरे दुग्ध समितियां दम तोड़ती गईं और प्लांट बंद होते गए। जिसका परिणाम यह हुआ कि अब यहां दूध की धारा नहीं बह रही है। सिर्फ चुनिदा समितियां ही प्रत्येक दिन 450-500 लीटर दूध उपलब्ध करा पा रही हैं। इसे भी एंकल डेरी गोरखपुर भेज दिया जाता है। दुग्धशाला विकास विभाग से जुड़ी दुग्ध समितियों के निष्क्रिय होने से यहां श्वेत क्रांति का नारा धड़ाम हो गया है।

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जिले में पहले 190 दुग्ध समितियां पंजीकृत थी। इनसे प्रत्येक दिन 1400-1500 लीटर दूध का उपार्जन होता था। लेकिन गुजरते समय के साथ समितियां विभाग और बाजार मूल्य में अंतर होने के कारण इस कारोबार से मुंह मोड़ती गईं। लिहाजा नौतनवा, फरेंदा, पनियरा, चौक और घुघली मार्ग पर कलेक्शन बंद करना पड़ा। फरेंदा चिलिग प्लांट भी बंद हो गया। वर्ष 2016 में संसाधन और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे मंडल के कार्यालयों को गोरखपुर से जोड़ दिया गया। इसके बाद से स्थिति और भी बिगड़ती गई। अब प्रत्येक दिन सिर्फ 450-500 लीटर दूध एकत्र हो पा रही है, जिसे महराजगंज जनपद के पुरैना अवशीतल केंद्र पर ठंडा करके एंकल डेरी गोरखपुर भेज दिया जाता है।

दुग्धशाला विकास विभाग के वरिष्ठ दुग्ध निरीक्षक बृजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि जिले में दुग्ध कारोबार के क्षेत्र में बेहतर अवसर है। निष्क्रिय समितियों को जागरूक कर पुर्नगठन का प्रयास किया जा रहा है। ताकि दुग्ध उपार्जन को बढ़ाया जा सके और समितियों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा विभाग

पद स्वीकृत तैनाती

उप दुग्ध शाला अधिकारी 1 शून्य

वरिष्ठ दुग्ध निरीक्षक 1 1

दुग्ध निरीक्षक 1 शून्य

सुपरवाइजर 7 1

बाबू 1 शून्य

सहयोगी 2 1


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