नहरों में पानी नहीं, कैसे हो सिचाई
गेहूं की सिचाई के लिए किसान परेशान
महराजगंज: तराई क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा हैं, लेकिन समय पर नहरों में पानी न आने से किसान काफी परेशान हैं। नहर करीब 45 दिन से पानी विहीन है। नहर में पानी न आने से रबी की फसल की सिचाई पूरी तरह बाधित हो रही है। क्षेत्र के कई दर्जन गांवों के किसान नहर के पानी की सिचाई पर आश्रित हैं जो परेशान हैं। साधन संपन्न किसान पंपिग सेट से महंगे दर पर पानी खरीदकर सिचाई करा रहे हैं, जबकि गरीब तबका का किसान नहर की ओर ताक रहा है। क्षेत्र के सैकड़ों किसान सिचाई के लिए नहर पर निर्भर रहते हैं। नहर के आसपास काफी जमीन ऐसी है,जहां पर किसानों ने बोरिग की व्यवस्था नहीं की है। जिससे वह पंपिग सेट से भी सिचाई नहीं कर सकते, इसलिए वह अब नहर के पानी पर निर्भर है। 15 अक्तूबर से रबी सीजन की शुरूआत हो चुकी है। चना, मटर, राई, सरसों, गेहूं की बोआई हो चुकी है। इसके अलावा आलू की बोवाई भी की गई है। अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से ही गेहूं की बोवाई का काम किसानों ने शुरू कर दिया था। ऐसे में नहर में पानी न आने से किसान गेहूं की सिचाई के लिए परेशान हैं। भैंसा निवासी झिनकू साहनी का कहना है कि गेहूं की बुआई किए एक माह हो गया, लेकिन नहर में पानी न आने से सिचाई पिछड़ रही हैं। बासपार नूतन निवासी सुभाष गुप्ता ने बताया कि गेहूं की बुआई किए एक माह से ऊपर हो गया। नहर में पानी न आने से मजबूरी में पंपिग सेट से पानी चलाया। इसी तरह की प्रतिक्रिया सोहरौना तिवारी के मनोज पासवान, अनिल मणि, कैलाश मणि, दुर्गेश मणि, सुशील मणि,मदन मोहन मणि,श्रीकिशुन पासवान,पलटू शर्मा आदि ने भी आवाज उठाई है। नहरें बेपानी, डीजल फूंक रहे किसान
महराजगंज: विकास खंड सिसवा क्षेत्र के अधिकांश खेती की सिचाई नहर के पानी पर निर्भर है। लेकिन नहरों में पानी नही आने के कारण यह परेशानी बढ़ी हुई है। गेहूं की फसल बढ़ रही है। जिसकी इस समय सिचाई बहुत जरूरी है। इसलिए पानी की आवश्यकता बढ़ी हुई है, लेकिन नहरे बेपानी हैं। क्षेत्र के हेवती, करमही, सबया, बगही, बेलभरियां, गेरमा, रामपुर, शीलतापुर, शेमरी, बड़हरा, कम्हरियां सहित अन्य गांवों के किसान पंपिग सेट के सहारे सिचाईं करने को विवश हैं। किसान रामबली, उमापति मिश्र, रामसुभग, बलवंत, सुमित सहित अन्य किसानों का कहना है कि विभागीय उदासीनता के कारण नहरों में अभी तक पानी नहीं आने के कारण किसान डीजल के सहारे अपनी सिचाईं कर रहे है। जिससे उनका लागत मूल्य भी बढ़ रहा है।