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हर वर्ष करोड़ों खर्च फिर भी जर्जर हैं नेपाल के तटबंध

निचलौल नेपाल के नवलपरासी जिले में स्थित ए गैप बी गैप लिक व नेपाल बांध की स्थिति करोड़ों खर्च

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 12:23 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 12:23 AM (IST)
हर वर्ष करोड़ों खर्च फिर भी जर्जर हैं नेपाल के तटबंध
हर वर्ष करोड़ों खर्च फिर भी जर्जर हैं नेपाल के तटबंध

निचलौल : नेपाल के नवलपरासी जिले में स्थित ए गैप, बी गैप, लिक व नेपाल बांध की स्थिति करोड़ों खर्च के बाद भी सुधर नहीं सकी है। हालत यह है कि पानी की तरह पैसा बहाए जाने के बाद भी बंधे जर्जर हैं। भारत व नेपाल के बीच गंडक परियोजना के अन्तर्गत हुए समझौते के तहत नवलपरासी जिले के इन बंधों की मरम्मत का कार्य भारत के अधीन है।

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सिचाई खंड दो महराजगंज के अधिकारी इन बंधों की मरम्मत व रखरखाव कराते हैं। हाल के दिनों में नेपाल के अधिकारियों द्वारा बंधे के मरम्मत कार्य में लापरवाही बरते जाने की शिकायत के बाद अधीक्षण अभियंता ने यहां का दौरा कर मरम्मत में तेजी लाए जाने का निर्देश दिया था।

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जल शक्ति मंत्री ने निरीक्षण कर जताई थी नाराजगी:

बीते मई माह में प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा. महेंद्र प्रताप सिंह ने नेपाल छितौनी बांध का निरीक्षण किया था। जहां नदी के दाएं तट पर स्थित एनसी बांध के एजक्रेटिग की पुनस्र्थापना व सौ मीटर लंबाई में मिर्जापुर बोल्डर से नई एजक्रेटिग के कार्य के लिए 197.78 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं। इसके साथ ही पावर स्केप बांध व स्पर संख्या एक के मध्य परक्यूपाइन लगाने के लिए 353.35 लाख रुपये स्वीकृत किए है। लगभग पूरा हो चुके काम के स्थलीय निरीक्षण में कमी पाए जाने पर विभागीय अधिकारियों को फटकार लगाई थी।

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नदी किनारे खेती करने वाले किसानों ने जताई चिता:

नारायणी नदी के आसपास क्षेत्रों में खेती करने वाले नदी में बाढ़ आने से होने वाली हर वर्ष की तबाही से डरे हुए हैं।

मिश्रौलिया निवासी किसान सिताब अली ने बताया कि उनका खेत अर्जुनही में है। जहां पहले अच्छी फसल होती थी। कुछ वर्ष पूर्व से नदी की धारा ने मोड़ ले लिया। जिससे कई एकड़ खेती नदी की धारा व रेत में विलीन हो गए हैं। अगर सिचाई विभाग ने टेलफाल पर बांध बनाकर नदी की धारा को मुड़ने से रोका होता तो सबके खेतों में फसल होती।

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किसान इजहार शेख ने बताया कि सिचाई विभाग हर साल बांध बांधता है, लेकिन हर बार नदी की धारा में विलीन हो जाती है। जिसका परिणाम है कि भेड़िहारी, मिश्रौलिया, बैठवलिया, बहुआर, कनमिसवा सहित कई गांवों की खेती और वन क्षेत्र नदी में विलीन हो जाती है।

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बंधों की मरम्मत कराई जा रही है। अधिकांश स्थानों पर मरम्मत का कार्य पूर्ण हो चुका है। नारायणी नदी की धारा में कृषि योग्य भूमि व वन क्षेत्र विलीन न हो इसका प्रयास किया जा रहा है।

राजीव कपिल

अधिशासी अभियंता, सिचाई खंड दो- महराजगंज

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