संसाधनों की कमी नियमों के पालन में बन रही बाधक
महराजगंज जिले की यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। पुलिस प्रशासन की ओर से यहां ट्रै
महराजगंज: जिले की यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। पुलिस प्रशासन की ओर से यहां ट्रैफिक थाना की स्थापना को लेकर राज्य मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन प्रस्ताव बीते तीन वर्ष से ठंडे बस्ते में है। यातायात पुलिस के पास मैन पावर से लेकर आवश्यक संसाधन के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। जिला पुलिस यहां ट्रैफिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लगी हुई है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण यह न सिर्फ व्यवस्था बेपटरी है। लापरवाही के कारण सड़क की पटरियों पर नियमों का मखौल उड़ाया जा रहा है। फिर चाहे वह जिला मुख्यालय की सर्विस लेन पर होने वाला अतिक्रमण हो या फिर सोनौली सीमा पर लगने वाली लंबी ट्रकों की कतारें। संसाधनों का भी टोटा
परिवहन विभाग व यातायात पुलिस के पास यहां संसाधन की भारी कमी है। वाहन, वॉकी-टॉकी, जीपीएस सिस्टम, ट्रैफिक सिगनल, दिशा सूचक, रोड डिवाइडर, फुटपाथ सहित अन्य आधारभूत संरचनाओं की कमी के कारण यहां यातायात व्यवस्था पूरी तरह पंगु नजर आती है। यातायात विभाग में कुल 12 हेड कांस्टेबिल व 26 कांस्टेबिल के पदों के सापेक्ष मात्र दो हेड व 12 कांस्टेबिल यातायात व्यवस्था में तैनात हैं। वाहन के नाम पर एक मात्र गाड़ी है और थाना के बजाए कोतवाली में दो कमरों की आफिस भी मुहैया कराई गई है। एआरटीओ कार्यालय पर लगती हैं लंबी भीड़
: जिले के संभागीय सहायक परिवहन कार्यालय में ड्राइविग लाइसेंस और टैक्स भुगतान के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। लोगों की भीड़ इस कोरोना काल में भी घातक साबित हो रही है। इतना ही नहीं शहर के मेन रोड में ट्रैफिक सिगनल की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। पुराना शहर होने के बाद भी यहां न तो अब तक कोई फ्लाइ ओवर है और न ही रोड डिवाइडर की ही व्यवस्था है। निचलौल, नौतनवा, फरेंदा सहित कई कस्बों में आए दिन लोगों को यहां जाम की समस्या से दो चार होना पड़ता है। संसाधनों की कमी है, मगर हमारी कोशिश कम संसाधनों में बेहतर व्यवस्था बनाने की है। इस पर हमारे कर्मी काफी हद तक खरे भी उतरते हैं। अगर पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होंगे तो व्यवस्था और अच्छी तरह संभाली जा सकेगी। पुलिसकर्मियों को भी आराम व तनाव मुक्त रहने का मौका मिलेगा।
राजू कुमार साव, सीओ सदर, महराजगंज