तस्करों के लिए खुली है भारत-नेपाल सीमा
पगडंडी रास्तों से नेपाल पहुंचायी जा रही खाद
महराजगंज: कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते भारत- नेपाल सीमा सील है। मालवाहक वाहनों को छोड़कर लोगों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा है। इसके बाद भी सीमा पर खाद की तस्करी पर अंकुश नहीं लग सका है। पगडंडी रास्ते हर रोज सैकड़ों बोरी खाद नेपाल भेजी जा रही है। उर्वरक तस्करी रोकने में सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से विफल साबित हो रहीं हैं। सीमा से सटे बरगदवा, परसामलिक, श्यामकाट, खनुआ, सुंडी, अड्डा बाजार, खोरिया, बटईडीहा, सोनपिपरी, राजमंदिर, बांसगांव, लुहठहवा, अहिरौली, जिगिनिहा आदि क्षेत्रों में खुली उर्वरक की निजी दुकानें खाद तस्करी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं हैं।
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नियमों को दरकिनार कर दिए गए हैं खाद के लाइसेंस:
सीमा से सटे 10 किमी तक खाद का लाइसेंस देने का प्रावधान नहीं है। कृषि विभाग के अभिलेखों में ऐसा है भी नहीं। लेकिन हकीकत में हर सीमावर्ती कस्बे में लाइसेंसी खाद की दुकानें व गोदाम बने हुए हैं। जहां से तस्कर आसानी से खाद प्राप्त कर सीमा पार पहुंचा दे रहे हैं।
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तस्करी को लेकर एसएसबी जवानों पर हमला:
सीमा पर अंतरराष्ट्रीय तस्करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि उनके द्वारा एसएसबी जवानों को भी प्राय: निशाना बनाया जाता है। बीते सात अगस्त को खाद तस्करों ने सीमा पर गश्त कर रहे एसएसबी जवान अमरेंद्र पांडेय के ऊपर बरगदवा क्षेत्र में जनलेवा हमला कर दिया था। तस्कर उन्हें खींचकर नेपाल ले जा रहे थे। किसी तरह भारतीय क्षेत्र के लोगों ने उनकी जान बचाई।
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खाद के दामों में है भारी अंतर:
भारत व नेपाल में खाद के दामों के काफी अंतर है। भारतीय क्षेत्र में खाद 270 बोरी खाद बिक रही है, वहीं नेपाल में इस समय खाद का मूल्य 800 रुपये प्रति बोरी है। ऐसे में तस्कर रात दिन एक कर खाद को सीमा पार पहुंचा रहे हैं।
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तस्करी पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्र में जवानों को गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। पगडंडी रास्तों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
रोहित सिंह सजवान, पुलिस अधीक्षक, महराजगंज