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बंदियों को अध्यात्म की राह दिखा रही गीता व रामायण

बंदी रोज सुबह लाइब्रेरी से पुस्तकें लेकर पढ़ रहे हैं और मंगल पाठ भी कर रहे हैं। यह सब हो रहा है जिला प्रशासन और जेल प्रशासन के समन्वय से। अब बंदियों के बदले व्यवहार को लेकर जेल प्रशासन भी काफी उत्साहित और अपने उद्देश्यों में सफल होता नजर आ रहा है। दरअसल 550 बंदियों की क्षमता वाले जिला कारागार में वर्तमान में 976 बंदी हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 11:43 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 11:46 PM (IST)
बंदियों को अध्यात्म की राह दिखा रही गीता व रामायण
बंदियों को अध्यात्म की राह दिखा रही गीता व रामायण

महराजगंज: कोरोना महामारी के इस दौर में महराजगंज जिला कारागार के बंदियों को जेल की गीता व रामायण अब सदाचार व अध्यात्म की राह दिखा रही है। जो हाथ पहले असलहा लेकर घूमा करते थे, अब जेल में किताबे लेकर घूम रहे हैं। बंदी रोज सुबह लाइब्रेरी से पुस्तकें लेकर पढ़ रहे हैं और मंगल पाठ भी कर रहे हैं। यह सब हो रहा है जिला प्रशासन और जेल प्रशासन के समन्वय से। अब बंदियों के बदले व्यवहार को लेकर जेल प्रशासन भी काफी उत्साहित और अपने उद्देश्यों में सफल होता नजर आ रहा है। दरअसल 550 बंदियों की क्षमता वाले जिला कारागार में वर्तमान में 976 बंदी हैं।

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कोरोना के कारण अदालत और मुलाकाती बंद है। इस कारण यह जेल के अंदर डिप्रेशन के शिकार हो रहे थे। क्योंकि अदालत होने से वह अदालत तक जाते थे और बाहर की आबोहवा मिलने से वह अपने आप को तरोताजा महसूस करते थे। बाहरी वातावरण और बाजार का चहल-पहल देख मन मस्तिष्क भी प्रसन्नचित्त हो जाता था। मुलाकात होने से परिजनों से मिल दुख हल्का हो जाता था। लेकिन कोरोना ने इन सब पर पाबंदी लगा दी। जेल में बंदी बोर होने लगे और उनकी मनोस्थिति बिगड़ने लगी।

ऐसे में जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार की पहल पर जेलर अरविन्द कुमार श्रीवास्तव ने बंदियों का मोटिवेशन शुरू किया और लाइब्रेरी की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। फिर क्या, प्रयास रंग लाने लगा। बंदियों की मनोदशा सुधारने के उद्देश्य से की गई जेल की लाइब्रेरी की पहल अब बंदियों के लिए नई रोशनी का काम कर रही है।

वर्तमान में 450 बंदी जेल की लाइब्रेरी से गीता, रामायण व महापुरुषों की पुस्तके पढ़ रहे हैं। लगातार इन पुस्तकों के अध्ययन से उनके आचार व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वह सदाचार व आध्यात्म की राह पर चल रहे हैं।

जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार ने कहा कि कोई व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता है। फिर भी अपनी गलतियों की सजा भुगत रहे बंदियों की मनोदशा सुधारने के लिए विशेष पहल की गई हैं, ताकि वह जेल से रिहा होने के बाद अपराध की दुनिया से हटकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। इसके लिए उनका समय-समय पर मोटिवेशन भी किया जाता है।

जिला जेलर अरविद कुमार श्रीवास्तव

ने कहा कि जेल की लाइब्रेरी में गीता, रामायण, मुंशी प्रेमचंद की मानसरोवर, गोदान, स्वामी विवेकानंद की पुस्तकें, नोवल सहित 700 पुस्तकें उपलब्ध हैं। जिला प्रशासन का काफी सहयोग मिल रहा है। वर्तमान में कुख्यात अनिल दुजाना, अंकित गुर्जर, सोनू सोमपाल, रणवीर सिंह, सोनू सिंह सहित 450 बंदी अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकें पढ़ रहे हैं।


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