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पार्किंग जोन बना नौतनवा का सरकारी अस्पताल

नगर पालिका परिषद नौतनवा में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों स्थानीय गाड़ियों के पार्किंग का मुफीद स्थल बन गया है। जहां प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में लोग अपने वाहनों को खड़ा कर बाजार करते हैं, तो रात में खुला मैदान देख कुछ लोग अपनी चार पहिया वाहनों को वहीं पार्क कर अपने घर चल देते हैं। बेवजह कतारों में लगे इन वाहनों का जिम्मेदारों द्वारा संज्ञान न लेने के कारण यह समस्या दिनों दिन वृहद रूप लेता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 11:41 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 11:41 PM (IST)
पार्किंग जोन बना नौतनवा का सरकारी अस्पताल
पार्किंग जोन बना नौतनवा का सरकारी अस्पताल

महराजगंज: नगर पालिका परिषद नौतनवा में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों स्थानीय गाड़ियों के पार्किंग का मुफीद स्थल बन गया है। जहां प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में लोग अपने वाहनों को खड़ा कर बाजार करते हैं, तो रात में खुला मैदान देख कुछ लोग अपनी चार पहिया वाहनों को वहीं पार्क कर अपने घर चल देते हैं। बेवजह कतारों में लगे इन वाहनों का जिम्मेदारों द्वारा संज्ञान न लेने के कारण यह समस्या दिनों दिन वृहद रूप लेता जा रहा है। यहां की स्थिति को देख ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो वह अस्पताल नहीं कोई गैराज हो। दर्जनों की संख्या में खड़े ये वाहन जहां दिन में मरीजों के वाहन तथा एंबुलेंस को आने-जाने में मुसीबत खड़ी करते हैं, वहीं रात होते ही इन वाहनों की आड़ में नशेड़ियों का जमावड़ा लग जाता है। जिनसे खुद की सुरक्षा करना अस्पताल के कर्मचारियों के लिए चुनौती बन गया है। बता दें कि वाहन की आड़ में नशेड़ी अपनी दाल गलाने में लग जाते हैं। इन नशेड़ियों के शोर-शराबों से अस्पताल में रहने वाले कर्मचारियों का न सिर्फ घरों में रहना दुश्वार हो गया है , बल्कि उनके सामानों की सुरक्षा करना भी उनके लिए एक अहम जिम्मेदारी सी बन गई है। अस्पताल में खड़े कई वाहन जहां महीनों परिसर से बाहर ही नहीं निकलते वहीं कुछ वाहन तो वर्षों से जर्जर अवस्था में ही अपने मालिक के इंतजार में सड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने इन वाहनों को वहां खड़ा करने पर विरोध नहीं किया, लेकिन सफेदपोशों के दबाव में आकर उन्हें भी बैकफुट होना पड़ा। बताया जाता है कि अस्पताल परिसर में खड़े होने वाले वाहनों के मालिकों का दबदबा इतना है कि उनके पावर के आगे स्थानीय नगर पालिका प्रशासन को भी घुटने टेकना पड़ता है।

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