रोपाई में जुटे किसान, कजरी गा रहीं महिलाएं
महराजगंज: धान की नर्सरी तैयार करने के बाद क्षेत्र के अधिकांश किसान अब खेत की रोपाई में जी जान से जुट
महराजगंज: धान की नर्सरी तैयार करने के बाद क्षेत्र के अधिकांश किसान अब खेत की रोपाई में जी जान से जुट गए हैं। स्थिति यह है कि महिलाओं व पुरुषों के साथ घर पर मौजूद बच्चे भी पूरी तरह किसानी के रंग में रंगे दिखाई दे रहे हैं। हालत यह है कि किसी को रोपाई के अलावा कोई दूसरा जरूरी कार्य सूझ ही नहीं रहा है। गांव के सिवान की हालत यह है कि रंग-बिरंगे परिधान पहनकर रोपाई करने जा रही नवयुवतियों की हंसी ठिठोली से आसपास का पूरा वातावरण ही गुलजार हो रहा है। हाथ में धान की मुठिया लेकर रोपाई कर रही महिलाओं के परंपरागत व कजरी गीतों से तो एक तरह से हर ओर उत्सव जैसा माहौल बन गया है। तराई के इस इलाके में खेती के सहारे गृहस्थी की गाड़ी खींचने वाले किसान माह भर पहले ही धान की नर्सरी डालकर रोपाई की तैयारी करने में लग गए थे।जैसे-जैसे उनकी धान की नर्सरी तैयार होती गई, किसान अपना सारा कार्य छोड़कर खेत की रोपाई करने में मशगूल होते गए हैं। हालांकि अब जून का महीना बीतने के कगार पर है। इसलिए गांव के बचे खुचे किसान भी मानसूनी बारिश का इंतेजार छोड़कर उधारी के ही संसाधनों से ही सही सलामत खेत की रोपाई कर लेने में अपनी भलाई समझ रहे हैं। कोई खाद के लिए तो कोई पं¨पग सेट के जुगाड़ में अपना हांथ-पांव मारता फिर रहा है। किसानों का कहना है कि यदि रोपाई में देरी हुई तो फसल की पैदावार घटना लाजिमी है। घरों व खेत में मौजूद महिलाएं के चेहरे पर भी रोपाई को लेकर काफी उल्लास देखने को मिल रहा है। रिश्तेदारी व मायका का मोह छोड़कर वह भी घर के पुरुषों के साथ किसानी का लुफ्त उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। वे घर के चुल्हे- चौके का काम निपटाकर सिर पर भोजन की गठरी व बर्तन में पानी लिए खेतों की ओर रुख कर ले रही हैं और देर शाम तक काम निपटाकर घर वापस लौट रही हैं। इस दौरान पूरे दिन भर आसमान से आग बरसा रहा सूरज भी किसानों को उनके इरादे से नहीं डिगा पा रहा है। यही कारण है कि अन्नदाता अपने खेत की मिट्टी में पसीना बहाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।