वाच टावर बदहाल, कैसे हो सीमा की निगहबानी
महराजगंज: इंडो-नेपाल सीमा की निगरानी के लिए नेपाल सीमा सटे सोनौली व संपतिहा में स्थापित वाच टावर बेम
महराजगंज: इंडो-नेपाल सीमा की निगरानी के लिए नेपाल सीमा सटे सोनौली व संपतिहा में स्थापित वाच टावर बेमतलब साबित हो रहे हैं। रख-रखाव न होने से टावर झाड़-झंखाड़ से पट गए हैं। संपतिहा व सोनौली पुलिस चौकी पर स्थापित होने के बाद से ही न तो उस पर किसी पुलिस कर्मी की ड्यूटी लगी और नहीं विभाग ने उस पर ध्यान दिया। सवाल यह उठ रहा है कि जब वाच टावर का प्रयोग ही नहीं करना था, तो उसे बनाया ही क्यों गया। जानकारी के मुताबिक करीब डेढ़ दशक पूर्व वर्ष 2009 में नेपाल में हुए उग्र माओवादी आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने सीमा पर सुरक्षा व सतर्कता बढ़ाई। प्रदेश सरकार के निर्देश पर पुलिस विभाग ने सीमा की निगरानी के लिए सोनौली चौकी व संपतिहा चौकी के पास लाखों खर्च कर ऊंचे वाच टावर भी लगवाए। जिससे सरहद की निगहबानी में आसानी हो सके। मगर स्थापित होने के बाद से टावरों का प्रयोग नहीं किया गया। रख-रखाव व ध्यान न दिए जाने से टावरों पर घास, पूस, बेल व लताओं ने अपना बसेरा बना लिया है। सोनौली में तो वाच टावर के आसपास कचरे का अंबार लगा हुआ है। यहां चौकी से टावर तक जाने के लिए गंदगी व दुर्गंध से होकर गुजरना पड़ता है। यह स्थिति देखकर तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शायद ही विभाग की निगाह टावर के रख-रखाव पर कभी पड़ती भी हो। पुलिस क्षेत्राधिकारी धमेंद्र कुमार यादव का कहना है की संपतिहा व सोनौली में स्थापित वाच टावर की सफाई व उसके रंग रोगन के साथ-साथ पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाने का निर्देश दिया गया है।