सेमरी के किसानों को भा रही है ढैंचा की खेती
महराजगंज: सिसवा ब्लाक के सेमरी गांव के लगभग तीन दर्जन किसानों को खूब भा रही है हरी खाद। खेतों में म
महराजगंज: सिसवा ब्लाक के सेमरी गांव के लगभग तीन दर्जन किसानों को खूब भा रही है हरी खाद। खेतों में मिट्टी की उर्वरता कायम रहे, उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित हो इसके लिए मिट्टी का स्वास्थ्य संतुलित रहना जरूरी है। हरी खाद ढेंचा से मिट्टी की न सिर्फ उर्वरता बढ़ाई जा सकती है , बल्कि जब मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी। खेतों में हरी खाद तैयार करने के लिए बोई गई ढैंचा, सनई की फसल तैयार होने लगी है। देश की बढ़ती हुई जनसंख्या के व सिमटते के इस दौर में प्रति इकाई कृषि उपज बढ़ाना ही एक मात्र विकल्प है। इस प्रयास में आज सघन कृषि उत्पादन की वजह से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा घटती जा रही है तो मृदा स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। हरी खाद ही एक ऐसा विकल्प है जो कार्बनिक पदार्थों की कमी को दूर कर सकता है। बल्कि उत्पादन भी बढ़ा सकता है। ऐसे में तमाम किसानों द्वारा हरी खाद के लिए बोई गई ढैंचा व सनई की फसल तैयार होने लगी है। सिसवा ब्लाक के सेमरी के किसान जयदेव तिवारी ने बताया कि हरी खाद के लिए बोई गई फसल को 40 से 60 दिन का होने पर गहरी जोताई करा फसल को मिट्टी में मिला देना चाहिए। हरी खाद को पलटते समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
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इनसेट
हरी खाद के क्या हैं लाभ:
हरी खाद से भूमि में जीवांश पदार्थ व पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। भूमि में पोषक तत्वों का निछालन कम से कम होता है। साथ ही पोषण तत्वों के संग्रहण की क्षमता बढ़ जाती है। भूमि की जल धारण, संचयन एवं वायु संचार क्षमता में वृद्धि होती है। भूमि में कार्य करने वाले लाभदायक जीवाणुओं की क्रियाशीलता में भी बढ़ोत्तरी होती है। फसलोत्पादन में वृद्धि के साथ गुणवत्ता भी अच्छी होती है।