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गांव में घुसा मगरमच्छ, दहशत में लोग

वन क्षेत्राधिकारी जगरन्नाथ प्रसाद ने बताया कि ग्रामीणों के माध्यम से उन्हें सूचना मिली कि गांव से सटे ताल से एक मगरमच्छ गांव में घुस आया है जिससे लोग काफी भयभीत हैं। सूचना के बाद टीम के साथ मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की मदद से मगरमच्छ को रेस्क्यू करने लगे लेकिन मगरमच्छ बहुत बड़ा होने के चलते टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 02:08 AM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 02:08 AM (IST)
गांव में घुसा मगरमच्छ, दहशत में लोग
गांव में घुसा मगरमच्छ, दहशत में लोग

महराजगंज: निचलौल वन रेंज क्षेत्र के जंगल से सटे ग्राम बैदौली में सोमवार की रात एक मगरमच्छ घुस गया। मंगलवार की सुबह कुछ ग्रामीणों की नजर मगरमच्छ पड़ी। जिसकी सूचना लोगों ने स्थानीय पुलिस के साथ वनकर्मियों को दी। मौके पर पहुंची वनकर्मियों की टीम ग्रामीणों की मदद से मगरमच्छ का रेस्क्यू कर लिया। मगरमच्छ की सूचना मिलते ही उसे देखने के लिए लोगों की मौके पर काफी भीड़ उमड़ पड़ी।

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वन क्षेत्राधिकारी जगरन्नाथ प्रसाद ने बताया कि ग्रामीणों के माध्यम से उन्हें सूचना मिली कि गांव से सटे ताल से एक मगरमच्छ गांव में घुस आया है, जिससे लोग काफी भयभीत हैं। सूचना के बाद टीम के साथ मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की मदद से मगरमच्छ को रेस्क्यू करने लगे, लेकिन मगरमच्छ बहुत बड़ा होने के चलते टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी। घंटों बाद मगरमच्छ को जाल में फंसा लिया गया। उसके बाद मगरमच्छ के मुंह को बांस के सहारे सुरक्षित बांध दिया गया। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर मगरमच्छ को दर्जिनिया ताल में छोड़ दिया गया है।

भारत में बेच दिए चितवन सफारी के 22 हाथी

महराजगंज: कोविड 19 के कारण पर्यटकों के नेपाल प्रवेश पर लगी रोक से चितवन वन्य क्षेत्र की हाथी से सफारी का कारोबार घाटे में चला गया है। जिसके चलते हाथी मालिकों ने 22 हाथियों को भारतीय लोगों के हाथ बिक्री कर दी है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब नेपाल के चितवन-सौराहा मार्ग के रास्ते भारतीय सीमा की तरफ जा रहे एक हाथी लदे ट्रक को पुलिस ने जांच के लिए रोक लिया। हाथी को वीरगंज बार्डर के पास उतार कर भारत ले जाने की योजना थी।

जनहित संरक्षण मंच नामक संस्था ने राष्ट्रीय निकुंज व वन्य जंतु संरक्षण विभाग को पत्र लिख हाथियों को भारत में ले जाने व उसकी बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है। हाथी मालिकों का कहना है कि हाथी उनके द्वारा पाल्य की गई थी। वह उनके स्वामी हैं। सरकार उनके ठप कारोबार को मदद देती तो वह हाथी बिक्री करने को मजबूर नहीं होते। नेपाल में हाथी बिक्री का कारोबार तीन वर्ष से शुरू हुआ है। सौराहा में स्थित यूनाइटेड हाथी संचालक संस्था हाथी मालिकों से करार कर उन्हें जंगल सफारी में भेजती थी। संस्था के पास कुल 55 हाथी थे। लेकिन अब सिर्फ 22 हाथी हैं। हाथी संचालक संस्था के अध्यक्ष ऋषि तिवारी का कहना है कि कोरोना के कारण पर्यटक न आने से आय बंद हो गई थी। जिससे हाथी मालिक परेशान हैं। हाथी के रख रखाव व उनके पालन का खर्च उठाना भी मुश्किल हो रहा था। इसलिए हाथियों को बिक्री करना मजबूरी हो गई है।


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