जल संरक्षण के लिए तालाब खोदवा एकत्रित कर रहे वर्षा जल
मिठौरा ब्लाक के ग्राम पंचायत बरोहिया के मत्स्य चिकित्सक मत्स्य संजय कुमार श्रीवास्तव करीब तीन दशक से अनवरत 19 तालाबों के माध्यम से जल संरक्षण में प्रकृति का सहयोग करते चले आ रहे हैं। डा. संजय ने कहा कि वर्तमान परिवेश में खिसकता जलस्तर लोगों के लिए जनसमस्या बना हुआ है। जिसके लिए वर्षा के जल का संचयन पर्यावरण के लिए आवश्यक हो गया है।
महराजगंज: जब कुछ बेहतर करने की चाह हो तो मुश्किल कभी आड़े नहीं आती। कदम-कदम सफलता की तरफ बढ़ते हैं। जल संरक्षण में जुटे निचलौल क्षेत्र के ग्राम पंचायत बरोहिया के मत्स्य चिकित्सक मत्स्य संजय कुमार श्रीवास्तव व कृष्ण मणि पटेल की सफलता इसकी एक बानगी है।
खोन्हौली निवासी कृष्ण मणि पटेल ने कहा कि वह अपने खेत सहित आसपास के खेतों से गिर रहे जलस्तर को देखकर अपने खेत में ही तालाब की खोदाई कराकर जल संचय की योजना बनाई। जिसका शुरुआत में स्वजन सहित लोगों ने घाटे का विचार बताकर मना किया, लेकिन जल संचय कर जलस्तर बढ़ाने की सोच में अपने निजी 30 डिसमिल भूमि में वर्ष 2018 में तालाब खोदवाया, जिसमें अब बरसात में वर्षा का जल संचित होता है। बरसात में खेतों में भरा पानी तालाब में आता है। जबकि अन्य दिनों में आसपास के खेतों में नमी बनी रहती है। इसका लाभ सभी किसानों को मिलता है। पास के पंपिग सेट से पहले से ज्यादा पानी अब निकलता है, जिससे सिचाई भी आसान हो गई है। इसलिए जो लोग पहले विरोध जता रहे थे, वह भी अब बधाई देते हैं।
मिठौरा ब्लाक के ग्राम पंचायत बरोहिया के मत्स्य चिकित्सक मत्स्य संजय कुमार श्रीवास्तव करीब तीन दशक से अनवरत 19 तालाबों के माध्यम से जल संरक्षण में प्रकृति का सहयोग करते चले आ रहे हैं। डा. संजय ने कहा कि वर्तमान परिवेश में खिसकता जलस्तर लोगों के लिए जनसमस्या बना हुआ है। जिसके लिए वर्षा के जल का संचयन पर्यावरण के लिए आवश्यक हो गया है। मूलत: मिठौरा ब्लाक के जगदौर निवासी डा. श्रीवास्तव मत्स्य पालन विज्ञान में पीएचडी किया हैं। इन्होंने बताया कि वर्ष 1990 में ग्राम पंचायत से सटे निचलौल मुख्यालय मार्ग पर ग्राम बरोहिया में तीन तालाब से मत्स्य पालन का कार्य शुरु किया। जो आज कुल 14 एकड़ भूमि में 19 तालाब खोदवाया हैं। इन तालाबों में जलसंरक्षण के लिए वर्षा जल संचित किया जाता है। जिससे पूरे वर्षभर तालाबों में पानी भरा रहता है। बारिश के जल संचय के लिए आस-पास के खाली भूमियों से नालियां भी बनाई गईं हैं, जिससे पानी तालाबों में आ सके। उनका कहना है कि आज लोग जल के संरक्षण की अनदेखी कर पर्यावरण का जो नुकसान कर रहे हैं। इसका खामियाजा भविष्य में भुगतना होगा। ऐसे में हमें मिलकर जल संरक्षण की सोच को बढ़ावा देना होगा।