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ढ़ाई साल बाद जेल से रिहा हुआ युगांडा का नागरिक

फर्जी पासपोर्ट के आधार पर घुसपैठ की कोशिश कर रहा था सेबन्याबेन

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 11:53 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 11:53 PM (IST)
ढ़ाई साल बाद जेल से रिहा हुआ युगांडा का नागरिक
ढ़ाई साल बाद जेल से रिहा हुआ युगांडा का नागरिक

महराजगंज: वर्ष 2018 में फर्जी पासपोर्ट के सहारे भारत से नेपाल में जाने का प्रयास करते गिरफ्तार हुए युगांडा के नागरिक सेबन्याबेन को आखिर ढ़ाई साल बाद रिहाई मिल गई। सेबन्याबेन की मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण महराजगंज सीजेएम कोर्ट ने तीन हजार रुपये के अर्थदंड और अबतक जेल में बिताए समय को सजा मानते हुए उसे रिहा कर दिया है। सेबन्याबेन के स्वजन अथवा युगांडा एंबेसी को सूचना देने के बाद भी किसी के द्वारा उससे संपर्क न करने की स्थिति में उसने जेल में कमाए हुए स्वयं के रुपयो से अपना अर्थदंड जमा किया। शुक्रवार को जेल प्रशासन ने उसे रिहा कर दिया है।

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मामला 14 नवंबर 2018 का है। जब युगांडा देश के कसूबीव्यू अकेरेरेवान डेंग्या निवासी सेबन्याबेन नेपाल जाने के लिए सोनौली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहुंचा था। वहां आब्रजन कार्यालय पर जांच में भारत में रहने के लिए उसके पास भारतीय वीजा तो बरामद हुआ लेकिन पासपोर्ट किसी और के नाम का था। जिस पर सेसेबन्याबेन लिखा हुआ था। साथ ही दिल्ली के जिस एयरपोर्ट से उसने अपना आना बताया था, वह भी जांच में फर्जी पाया गया। बाद में पुलिस और आब्रजन अधिकारियों की जांच में यह पाया गया कि सेबन्याबेन भारत में अपने मूल पासपोर्ट पर अप्रैल 2015 में आया था। जिसके बाद वर्ष 2017 में उसका पासपोर्ट भारत में ही कहीं खो गया। किन्हीं कारणों से सेबन्याबेन ने इसकी न तो पुलिस कंप्लेन कराई और न ही इसकी सूचना अपने एंबेसी को ही दी। इधर वापस लौटने के लिए उसने युगांडा के ही किसी अपने जानने वाले से अपने नाम से मिलता-जुलता सेसेबन्याबेन नाम से पासपोर्ट बनवाकर कोरियर के माध्यम से मंगा लिया, और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इंडिया में आने की मोहर भी लगवा ली। पकड़े जाने के बाद सोनौली आब्रजन कार्यालय के सहायक केंद्रीय आसूचना अधिकारी धर्मेंद्र तोमर ने सेबन्याबेन के खिलाफ सोनौली थाने में धोखाधड़ी और विदेशी अधिनियम के तहत केस दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपों की पुष्टि करते हुए 30 जनवरी 2019 को सीजेएम कोर्ट महराजगंज में अपनी चार्जशीट सौंप दी। जेल में हुई थी मानसिक स्थिति की पहचान:

: जेलर अरविद श्रीवास्तव ने बताया कि जेल में पहले उसके अलग गतिविधियों से लगा कि दूसरे देश का नागरिक है। इसलिए ऐसा बर्ताव कर रहा है। लेकिन बाद में जब दो बार मानसिक चिकित्सालय वाराणसी में दिखाया गया तो चिकित्सकों ने मानसिक स्थिति ठीक न होने की रिपोर्ट दी। जेलर अरविद श्रीवास्तव ने कहा कि सेबन्याबेन को एंबेसी के माध्यम से उसके देश युगांडा भेजा जाएगा।


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