विपत्तियों का टूटा पहाड़, बेपात हुए लोग
महराजगंज: नौतनवा क्षेत्र के आठ युवकों की मृत्यु से स्वजन पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। कमाऊ सदस्य के असमय चले जाने से लोगों जिंदगी बेपात हो गई है। देर रात तक सभी शव मुंबई से वाराणसी हवाई मार्ग, फिर वहां से एंबुलेंस से गांवों में पहुंचेंगे।
सेमरहवा निवासी सिकंदर, अनूप, हनुमानगढ़िया निवासी कुशहर प्रजापति, श्यामू व अनूप गौड़, धोतिहवा निवासी अनिल, कजरी गांव के अरविंद भारती और संपत्तिया के विपिन पर घर की जिम्मेदारी थी। किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह दिन देखने को आएगा। कमाऊ सदस्यों की मृत्यु से जिंदगी मुश्किल हो गई है। विपिन के पिता का एक वर्ष पहले ही निधन हो गया था। वह मां का सहारा बनने के लिए एक वर्ष पहले मुंबई कमाने गया। लेकिन नियत के क्रूल काल ने उसे भी छिन लिया। अब मां कौशल्या दस वर्ष के बच्चे को लेकर बदहवास है। उसे एक तरफ बेटे की मृत्यु का गम है, वहीं छोटे बच्चे प्रिंस के भविष्य और खुद की चिंता भी सता रही है।
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एक वर्ष के अंदर ही उजड़ गई महिमा की दुनिया
लक्ष्मीपुर : मुंबई हादसे में पति कुशहर की मृत्यु से हनुमानगढिया निवासी महिमा की हंसती-खेलती दुनिया एक वर्ष के अंदर ही उजड़ गई। महिमा को क्या पता था कि उसके पति अब दुनिया में वापस नहीं आएंगे। कुशहर की शादी पिछले वर्ष बकैनिया में महिमा से हुई थी। कुशहर पांच भाई थे, जिसमें वह चौथे नंबर था। बड़े भाई दीपक ने बताया कि दूसरा भाई लौहार है, तीसरा रामू है, जो कि दिव्यांग है, जिसमें कुशहर व श्यामू अब दुनिया में नहीं है। कुशहर के पिता रामशब्द व माता, पत्नी महिमा को अब कुछ सूझ नहीं रहा है। अब वह अपना जीवन किसके सहारे बिताएंगे।
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