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794 लोगों को लगा टीका, 1961 की हुई जांच

जिले के अस्पताल और सीएचसी पर टीकाकरण का कार्य सुबह नौ बजे से शुरू हुआ। लेकिन सोमवार को कोरोना के कारण शासन की साप्ताहिक बंदी के चलते कम लोग ही घरों से निकले। इसलिए अस्पतालों पर रोज की अपेक्षा भीड़ बहुत कम थी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 12:17 AM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 12:17 AM (IST)
794 लोगों को लगा टीका, 1961 की हुई जांच
794 लोगों को लगा टीका, 1961 की हुई जांच

महराजगंज: जिले में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण और जांच का कार्य सोमवार को भी जारी रहा। इस दौरान कुल 794 लोगों को टीका लगाया है। जबकि 1961 लोगों की जांच की गई है।

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जिले के अस्पताल और सीएचसी पर टीकाकरण का कार्य सुबह नौ बजे से शुरू हुआ। लेकिन सोमवार को कोरोना के कारण शासन की साप्ताहिक बंदी के चलते कम लोग ही घरों से निकले। इसलिए अस्पतालों पर रोज की अपेक्षा भीड़ बहुत कम थी। देर शाम तक 1500 लक्ष्य के सापेक्ष 794 लोगों ने ही टीके लगवाए। सभी स्वस्थ हैं। आधा घंटे आब्जर्वेशन में रखने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया। नोडल अधिकारी डा. आइए अंसारी ने बताया कि जिले में 1433 लोगों की एंटीजन और 528 लोगों की आरटीपीसीआर से जांच कराई गई।

खुले में घूम रहे इंसेफेलाइटिस के संवाहक

विकास खण्ड क्षेत्र के मिठौरा, सिदुरिया व बरोहिया आदि चौराहों पर इंसेफेलाइटिस के संवाहक आए दिन खुले में घूम रहे हैं। शासन प्रशासन द्वारा इंसेफेलाइटिस से बच्चों को बचाने के लिए तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। लेकिन सुअरपालकों पर इनका कोई असर नहीं पड़ रहा है। वह अपनी सुअर को खुलेआम गांव की गलियों व चौराहों पर घूमा रहे हैं। जिससे इंसेफेलाइटिस के फैलने का डर लोगों को सता रहा है। जबकि वहीं सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन के जिम्मेदार मौन धारण किए हुए है। बरसात के दिनों में समूचा पूर्वांचल ही इंसेफेलाइटिस की चपेट में रहता है। इन सबके बाद भी प्रशासन की चुप्पी ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बन चुकी है। वही ग्रामीणों का कहना है कि बेलगाम सुअर पालक कुछ कहने पर झगड़ा करने पर उतारू हो जाते है। स्वास्थ्य विभाग हमेशा ही लोगो को इनसे दूर रहने की सलाह देता है,लेकिन जब वे खुद ही घर तक पहुंच रहें है तो लोग कैसे दूर रहें। राजेंद्र, सरवन, गोपाल, नीरज, गोविद, राजकुमार, प्रदीप, अमित, राजू, रंजीत, सुधाकर आदि का कहना है कि एक तो अनेक जगहों पर आबादी के बीच में ही सुअर बाड़े बने हैं, जिन्हें हटवाने के लिए प्रशासन के जिम्मेदार तैयार नहीं होते हैं।


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