लॉकडाउन में 60 फीसद हुई नॉर्मल डिलीवरी
निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के नाम पर तीस से पचास हजार रुपये लिया जाता है। बड़े अस्पतालों का खर्चा तो एक लाख रुपये तक पहुंच जाता है। डाक्टर सिजेरियन को सुरक्षित बताते हैं। लॉकडाउन में अधिकांश निजी अस्पताल बंद रहे।
महराजगंज: लॉकडाउन के दौरान ऑपरेशन से प्रसव (सिजेरियन) की संख्या काफी कम रही। 60 फीसद महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी हुई है। इन आंकड़ों से स्वास्थ्य विभाग भी काफी खुश है।
इस दौरान प्रसव सरकारी महिला अस्पताल में हुए या घरों में। मां और बच्चे के स्वस्थ रहने की तादाद भी अच्छी रही। लॉकडाउन-तीन में कुछ निजी अस्पतालों को इलाज की मंजूरी दी गई, लेकिन इससे पूर्व केवल सरकारी अस्पतालों के इमरजेंसी में इलाज की मंजूरी थी। इस बीच अस्पतालों में डिलीवरी के मामले कम आए। जो आए भी उनमें कम ही ऐसे थे, जिनकी प्रसव आपरेशन से हुआ। नेपाल से सटे इलाकों निचलौल, झूलनीपुर,ठूठीबारी, लक्ष्मीपुर बहुआर, शीतलापुर, रेगंहिया, राजाबारी, परसामलिक, बरगदवा, नौछतरी, खनुआ आदि के दूर दराज इलाकों में लोगों ने घरों में ही प्रसव को तरजीह दी। कुछ ही सीएचसी व पीएचसी पर ले गए। ज्यादातर प्रसव सामान्य रहे। सीएमओ एके श्रीवास्तव ने बताया कि 60 फीसद से अधिक महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी हुई है।
निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के नाम पर तीस से पचास हजार रुपये लिया जाता है। बड़े अस्पतालों का खर्चा तो एक लाख रुपये तक पहुंच जाता है। डाक्टर सिजेरियन को सुरक्षित बताते हैं। लॉकडाउन में अधिकांश निजी अस्पताल बंद रहे।
पतरेंगवा की एएनएम प्रीति सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से लेकर बीस जून तक उप केंद्र पर 75 नॉर्मल डिलीवरी करा चुकी हैं। केंद्र पर एक भी आपरेशन नहीं हुआ। सिर्फ 10 फीसद मरीजों को जिला महिला अस्पताल रेफर किया गया है।