प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश में रोजगार देने वाले उद्योगों को अनुदान देगी योगी सरकार, तैयार हो रहा प्रस्ताव
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रस्ताव तैयार किया गया है कि जिस तरह हथकरघा उद्योग के मजदूरों को रोजगार देने पर अनुदान दिया जाता है उसी तरह प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने पर उद्योगों को प्रति मजदूर एक से दो हजार रुपये प्रतिमाह अनुदान दिया जा सकता है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। कोरोना काल में दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने के प्रयास कर रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब इसी क्रम में एक नई व्यवस्था बनाने जा रही है। इसके तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने वाले उद्योगों को अनुदान देने की तैयारी है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग ने इसके लिए 629 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव बनाकर वित्त विभाग को भेजा है।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जब लॉकडाउन लगा तो दूसरे राज्यों से लगभग 34 लाख प्रवासी मजदूर-कामगार उत्तर प्रदेश में लौटे। तब सरकार ने उनके खाने-पीने की व्यवस्था के साथ ही उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम शुरू किया। प्रवासी मजदूरों की बड़े पैमाने पर स्किल मैपिंग कराई गई, ताकि हुनर के हिसाब से उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 25 लाख से अधिक मजदूरों की स्किल मैपिंग कराई जा चुकी है। प्रवासी श्रमिक राहत पोर्टल पर मजदूरों का डाटा उनकी दक्षता के हिसाब से अपलोड किया गया है। मजदूरों की दक्षता को 52 श्रेणियों में बांटा गया है। इसी के अनुसार रोजगार भी दिलाया गया। अब इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए सरकार अनुदान की योजना ला रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रस्ताव तैयार किया गया है कि जिस तरह हथकरघा उद्योग के मजदूरों को रोजगार देने पर प्रति मजदूर का अनुदान दिया जाता है, उसी तरह प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने पर उद्योगों को प्रति मजदूर एक से दो हजार रुपये प्रतिमाह अनुदान दिया जा सकता है। इससे मजदूरों को स्थानीय उद्योगों में रोजगार दिलाने में सहायता मिलेगी। इस योजना के तहत प्रवासी मजदूरों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना व मुख्यमंत्री प्रवासी रोजगार योजना से भी जोड़ा जाएगा। बताया गया है कि इस योजना का लाभ उन्हीं मजदूरों को मिलेगा, जिनका पंजीयन पहले से राज्य सरकार के पोर्टल पर है।