योगी आदित्यनाथ सरकार ने गरीबों के इलाज में आर्थिक मदद देने का तोड़ा रिकॉर्ड, 58 हजार से ज्यादा को मिला नया जीवन
उत्तर प्रदेश की आम जनता को कैंसर व हृदय रोग जैसी तमाम गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मदद देने में योगी सरकार ने नया कीर्तिमान रच दिया है। योगी आदित्यनाथ तीन वर्षों में 58 हजार से अधिक लोगों की मदद करने वाले प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की आम जनता को कैंसर व हृदय रोग जैसी तमाम गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मदद देने में योगी आदित्यनाथ सरकार ने नया कीर्तिमान रच दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से गरीबों व असहायों को दी जाने वाली मदद का रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। महज तीन वर्षों में 58 हजार से अधिक लोगों की मदद करने वाले वह प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। इसके अलावा कन्या सुमंगला व मुख्यमंत्री समूहिक विवाह योजना भी गरीबों के लिए सहारा बनी है। सीएम योगी ने वर्ष 2017 में इस योजना की शुरुआत की थी। इसमें अब तक 105427 जोड़ों के विवाह पर पांच अरब खर्च किए जा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने देश के सौ से अधिक अस्पतालों के जरिए 58,485 गरीब और असहायों की मदद की है। इसके लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से करीब नौ अरब रुपये की धनराशि खर्च की गई है। योजना बनने से लेकर अब तक दी जाने वाली मदद में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में विवेकाधीन कोष से मदद की गई है। पिछली सपा सरकार पांच सालों में महज 45 हजार लोगों की मदद तक ही सिमट के रह गई थी।
इलाज के अभाव में हो जाती है मौत : गरीबी के चलते गंभीर बीमारियों का समय पर सही इलाज न मिल पाने के कारण हजारों लोगों की हर साल मौत हो जाती है, जबकि मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तिय सहायता उपलब्ध कराकर लोगों की जान बचाई जा सकती है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पात्र गरीबों के इलाज के लिए आर्थिक मदद देने की व्यवस्था में तेजी लाई। देखते ही देखते कैंसर जैसे असाध्य रोग, हृदय रोग व किडनी के प्रत्यारोपण संबंधी एवं दुर्घटनाओं संबंधित इलाज के लिए गरीब और असहाय मरीजों की संख्या 58 हजार पहुंच गई। वहीं अब तक इस तरह के गंभीर रोगों के इलाज के लिए 8,91,33,71,542 रुपये प्रदान कर दिए गए हैं।
प्रक्रिया ऑनलाइन होने से आई तेजी : मुख्यमंत्री के विशेष सचिव विशाख ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ की संवेदनशीलता का परिणाम है कि किसी भी कार्यक्रम में व्यस्त रहने पर भी वह समय निकालते हैं और खुद विवेकाधीन कोष से प्रतिदिन 80 से 100 मरीजों के लिए प्राथमिकता के साथ प्रक्रिया पूरी करते हैं ताकि पीड़ित मरीज का जल्द से जल्द इलाज हो सके। इसके साथ ही डिजीटल भारत अभियान के चलते प्रक्रिया के ऑनलाइन हो जाने पर व्यवस्था में तेजी आई है। उन्होंने बताया कि योजना के लाभ के लिए आईजीआरएस पोर्टल पर आए सभी आवेदनों को जल्द से जल्द निपटाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रक्रिया के ऑनलाइन हो जाने गरीब व असहाय व्यक्ति को बिना भागदौड़ के आवेदन करना आसान हो गया है।
106 से अधिक अस्पतालों में मिल रहा लाभ : मुख्यमंत्री के विशेष सचिव विशाख ने बताया कि गंभीर व असाध्य रोगों के लिए देश भर के 106 सरकारी और निजी अस्पतालों के जरिए योजना का लाभ दिया जा रहा है। अकेले उत्तर प्रदेश में ही करीब 50 अस्पतालों के जरिये योजना से लाभ दिया जा रहा है। इन अस्पतालों के जरिए पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से कैंसर के 23,151 मरीजों, हृदय रोग के करीब सात हजार मरीजों व किडनी के प्रत्यारोपण व अन्य किडनी संबंधी बीमारियों में करीब नौ हजार मरीजों के इलाज के लिए सहायता की गई है, जिससे इलाज के बाद गंभीर रोगों से ग्रसित मरीजों को नया जीवन मिल रहा है।
मुख्यमंत्री समूहिक विवाह योजना बनी सहारा : बेटी की परवरिश, उसकी शिक्षा-दीक्षा और शादी किसी पिता की सबसे बड़ी चिंता होती है। कन्या सुमंगला, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह, मिशन शक्ति और सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) जैसी योजनाओं के जरिए योगी सरकार का पूरा प्रयास है कि एक बाप बेटी के पैदा होने पर उसे बोझ नहीं बल्कि एसेट मानें। सीएम योगी की निजी पहल पर वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री समूहिक विवाह योजना की शुरुआत हुई। सरकार योजना के तहत एक जोड़े के विवाह पर 51 हजार रुपए खर्च करती है। इसके तहत अब तक 105427 जोड़ों का विवाह कराया जा चुका है। इस मद में सरकार अब तक लगभग पांच अरब रुपए खर्च कर चुकी है।