भट्टा परसौल में किसानों के खिलाफ दर्ज दो केस वापस लेगी योगी आदित्यनाथ सरकार
Bhatta Parsaul Case भूमि अधिग्रहण के बेहद चर्चित मामले में किसानों के खिलाफ दर्ज केस अब योगी आदित्यनाथ सरकार वापस लेने की तैयारी में है। इसी क्रम में मुकदमों को वापस लेने के योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रस्ताव को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपनी हरी झंडी भी दे दी है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अन्नदाता किसानों पर लगातार मेहरबानी पर लगी है। प्रदेश में भूमि अधिग्रहण के बेहद चॢचत मामले में किसानों के खिलाफ दर्ज दो केस अब योगी आदित्यनाथ सरकार वापस लेने की तैयारी में है। इसी क्रम में मुकदमों को वापस लेने के योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रस्ताव को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपनी हरी झंडी भी दे दी है। इसका लाभ तीन दर्जन से अधिक किसानों को मिलेगा।
प्रदेश में गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा के भट्टा-पारसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में सात मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था। जिसमें दो किसान और दो पुलिसकॢमयों की मौत हो गई थी। अब उत्तर प्रदेश सरकार इसी प्रकरण में किसानों पर दर्ज दो मुकदमे वापस ले रही है।
गौतमबुद्धनगर के जेवर से भाजपा के विधायक धीरेंद्र सिंह ने सरकार से मुकदमे वापस लेने की मांग की। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्यपाल से मुकदमा वापस लेने की सिफारिश की थी। मुकदमे गौतमबुद्धनगर की दनकौर कोतवाली में दर्ज हुए थे। इनमें तीन दर्जन से अधिक किसानों को पुलिस की ओर से आरोपी बनाया गया था। भट्टा पारसौल आंदोलन के बाद किसानों के खिलाफ लूट, अपहरण, बलवा, डकैती, आगजनी , अवैध हथियारों का प्रयोग , सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने, हत्या का प्रयास और हत्या जैसे आरोपों में 20 मुकदमे दर्ज थे। जिन मुकदमों को वापस लेने की अनुमति राज्यपाल ने दी है, वह दनकौर कोतवाली में दर्ज थे। इन मुकदमों में तीन दर्जन से अधिक किसान आरोपी बनाए गए थे। किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में ग्राम भट्टा व पारसौल के किसानों ने मई 2011 में अपनी जमीनों का मुआवजा बढ़ाने के लिए आंदोलन किया था। प्रदर्शन के दौरान ही आंदोलनरत किसानों के खिलाफ विभिन्न आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से अधिकतर मुकदमे जनपद गौतमबुद्ध नगर के थाना दनकौर में मानवीर सिंह तेवतिया प्रेमवीर काले सिंह गजे सिंह किरणपाल धनसिंह और अन्य के विरुद्ध दर्ज थे।
गौतमबुद्धनगर जिले के भट्टा परसौल में भूमि अधिग्रहण का विरोध करने के दौरान किसानों ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। इसके बाद बसपा मुखिया मायावती के राज में बड़ी संख्या में किसानों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। अब प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों का दिल जीतने के क्रम में भट्टा परसौल मामले में किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की तैयारी में है। गौतमबुद्धनगर यमुना एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे गौतम बुद्ध नगर जिले के भट्टा पारसौल निवासी किसानों की पुलिस से हिंसक झड़प हुई थी।
प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे गौतम बुद्ध नगर जिले के भट्टा पारसौल निवासी किसानों की पुलिस से हिंसक झड़प हुई थी। सात मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प के दौरान हुई फायरिंग में दो किसान और दो पुलिसवाले मारे गए। अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने गौतम बुद्ध नगर के भट्टा पारसौल आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज दो मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है। दोनों मुकदमे सात मई 2011 के हिंसक संघर्ष के बाद दर्ज थे। तब यमुना एक्सप्रेसवे के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण को खिलाफ किसानों और जिला प्रशासन के बीच बड़ा तनाव पैदा हो गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी किसानों के पक्ष में आकर आंदोलन किया था।
2012 में भी वापस हुए थे केस
इससे पहले 2012 में भी किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए गए थे, जो मई 2011 में दर्ज किए गए थे। गौतमबुद्धनगर के भट्टा पारसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध में पुलिस के साथ किसानों का संघर्ष हुआ था, जिसके बाद उन पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। मुकदमे वापस लेने के फैसले के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को जनहित एवं न्यायहित में वापस ले लिया गया है। उस वक्त समाजवादी पार्टी ने मई 2011 में बसपा सरकार के कार्यकाल में निर्दोष किसानों का उत्पीडऩ करने की नीयत से दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने की घोषणा पहले ही कर दी थी।