योग के ‘वरदान’ से शादी के 11 साल बाद भर गई कोख Lucknow news
केजीएमयू में हुआ शोध। योग के वरदान से भर गई कोख।
लखनऊ, जेएनएन। शादी के 11 साल बाद भी आशा (38) को कई जतन के बाद भी मातृत्व सुख हासिल न हो सका। पति के साथ वह हताशा में डूबती जा रही थीं, मगर योग के 'वरदान' से अब वह तीन माह की गर्भवती हैं। उनके सहित बांझपन की शिकार 60 महिलाओं पर किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में हुए शोध में सामने आया है कि इलाज के साथ योग को अपनाकर बांझपन को हराया जा सकता है।
केजीएमयू को आइसीएमआर की ओर से 'पॉलीसिस्टिक ओबेरियन डिजीज' पर रिसर्च प्रोजेक्ट मिला था। इसी के तहत मोटापा (ओबेसिटी) के कारण बांझपन की शिकार 25 से 40 साल की महिलाओं पर यह शोध किया गया। केजीएमयू के 'ओबेसिटी कैंप' में इस शोध के लिए बांझपन की शिकार 60 महिलाओं का चयन किया गया। आशा भी उनमें से एक थीं।
इसके बाद फिजियोलॉजी की डॉ. वाणी गुप्ता और गाइनी की डॉ. रेखा सचान ने 'इनफर्टिलिटी इन ओबेसिटी वूमेन' पर शोध शुरू किया। ऐसे में 30 महिलाओं को सिर्फ हार्मोनल थेरेपी की डोज दी गई। वहीं, 30 को योगासन के साथ हार्मोनल थेरेपी दी गई। जिन्होंने योग के साथ हार्मोनल थेरेपी ली, उनमें 15 फीसद तेज रिकवरी हुई। सिर्फ हार्मोनल थेरेपी वाली महिलाओं को इंतजार करना पड़ रहा है।
15 मिनट के आसन से बड़ा कमाल
डॉ. वाणी गुप्ता के मुताबिक कैंपस में ही योग बेस्ड इलाज शुरू हुआ। प्रशिक्षक ने महिलाओं को तीन माह लगातार 15 मिनट योग कराए गए। तैलीय खाद्य और चाय-काफी कपर रोक लगा दी गई। योग के साथ दवा लेने वाली महिलाओं में 15 फीसद फास्ट रिकवरी मिली। सिर्फ दवा से इलाज कर रहीं बांझपन ग्रस्त महिलाओं में ने सिर्फ तीन फीसद सुधार मिला। डॉ. वाणी गुप्ता के मुताबिक, रिसर्च अब पूरा हो गया है। इसे जनरल में प्रकाशन को भेजा जाएगा।
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