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यूपी में सर्वाधिक प्रजातियों के पौधे रोपने का बनेगा विश्व रिकॉर्ड, 201 से अधिक प्रजातियां चिह्नित

उत्तर प्रदेश में 25 करोड़ पौधारोपण की सफलता के बाद वन विभाग अब सर्वाधिक प्रजातियों के पौधे रोपने का विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में जुट गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 03:45 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 03:46 PM (IST)
यूपी में सर्वाधिक प्रजातियों के पौधे रोपने का बनेगा विश्व रिकॉर्ड, 201 से अधिक प्रजातियां चिह्नित
यूपी में सर्वाधिक प्रजातियों के पौधे रोपने का बनेगा विश्व रिकॉर्ड, 201 से अधिक प्रजातियां चिह्नित

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में 25 करोड़ पौधारोपण की सफलता के बाद वन विभाग अब सर्वाधिक प्रजातियों के पौधे रोपने का विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में जुट गया है। यह रिकॉर्ड बनाने के लिए वन विभाग ने पांच की बजाय आठ जिलों का चयन किया है। साथ ही रोपने के लिए 201 से अधिक प्रजातियों को चिह्नित किया गया है। पहले यह रिकॉर्ड 15 जुलाई को बनाया जाना था, लेकिन कुछ और तैयारियों के साथ अब यह रिकॉर्ड इस महीने के अंत में बनाया जाएगा। 

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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने एक साथ कई स्थानों पर सर्वाधिक प्रजातियों के पौधे रोपने की कैटेगरी पहली बार शुरू की है। इस कैटेगिरी के लिए गिनीज बुक ने 150 प्रजातियों का बेंचमार्क तय किया है। यानी इससे अधिक पौधे एक साथ कई स्थानों पर रोपने वालों का नाम विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगा। पहले यह रिकॉर्ड 15 जुलाई को बनाया जाना था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अफसरों की टीम भारत नहीं आ पा रही है। ऐसे में रिकॉर्ड बनाने के लिए पौधारोपण के बाद विस्तृत डॉक्यूमेंट वन विभाग को ही भेजना होगा। साथ ही अनकट व अनएडिटेड वीडियो भी भेजना होगा।

इन सबके लिए वन विभाग को थोड़ा और समय चाहिए। ऐसे में विभाग ने जुलाई अंत तक इस वल्र्ड रिकॉर्ड को अपने नाम करने की तैयारी शुरू कर दी है। रिकॉर्ड के लिए यह पौधारोपण लखनऊ, अयोध्या, बाराबंकी, सीतापुर, मेरठ, गौतमबुद्धनगर, बांदा व चित्रकूट में एक साथ किया जाएगा। विभाग एक-एक प्रजातियों के पौधों का विस्तृत डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है। विभाग की कोशिश है कि 201 से अधिक प्रजातियों के पौधे इन स्थानों पर रोपे जाएं। रिकॉर्ड में शर्त यह भी है कि सभी स्थानों पर एक साथ पौधारोपण किया जाए। जिन प्रजातियों के पौधे एक स्थान पर लग जाएंगे वह दूसरे स्थान पर नहीं लगाए जाएंगे।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष राजीव कुमार गर्ग ने बताया कि पहले यह रिकॉर्ड 15 जुलाई को बनाया जाना था, लेकिन गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के सत्यापनकर्ता नहीं आ पा रहे हैं। सारी तैयारियां यहां से ही करके उन्हें देनी है। वीडियोग्राफी, फोटोग्राफ व डॉक्यूमेंट सब कुछ यहां से ही बनाकर उन्हें भेजना है। इन तैयारियों में थोड़ा समय और लगेगा। चूंकि यह कैटेगरी पहली बार पेश की गई है, इसलिए इसमें कई बिंदुओं को साफ करना भी बहुत जरूरी है।


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