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World No Tobacco Day 2021: कोरोना संक्रमण को घातक बना रहा तंबाकू और धूम्रपान का साथ

लखनऊ केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त त्रिपाठी ने बताया कि धूम्रपान और तंबाकू का सेवन एक साथ कई बीमारियों को दावत देता है। ये न केवल इसके शौकीनों की सेहत खराब करते हैं बल्कि आसपास के लोग भी इससे प्रभावित होते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 08:30 AM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 08:36 AM (IST)
World No Tobacco Day 2021: कोरोना संक्रमण को घातक बना रहा तंबाकू और धूम्रपान का साथ
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार भारत में तंबाकू सेवन प्रारंभ करने की औसत आयु 18.7 वर्ष है।

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के प्रसार में धूम्रपान और तंबाकू के सेवन की अहम भूमिका है और ऐसे लोगों के कोरोना संक्रमित होने पर अन्य की अपेक्षा जोखिम भी बढ़ जाता है। नरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विसेज के अनुसार भारत में लगभग 27 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। भारत में तंबाकू के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु होती है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार भारत में तंबाकू सेवन प्रारंभ करने की औसत आयु 18.7 वर्ष है। महिलाओं की तुलना में पुरुष कम उम्र में तंबाकू का सेवन करना प्रारंभ कर देते हैं।

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आज अधिकांश बीमारियों के पीछे तंबाकू की लत एक बड़ी वजह है। तंबाकू के कारण 25 तरह की बीमारियां तथा लगभग 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं, जिसमें प्रमुख हैं- मुंह, गले, फेफड़े, प्रोस्टेट, पेट और ब्रेन का कैंसर। हमारे देश में लगभग 12 करोड़ लोग धूमपान करते हैं। विकसित देशों में धूमपान के विषय में जागरूकता के परिणाम स्वरूप धूमपान का औसत गिरता जा रहा है, लेकिन विकासशील देशों में अभी भी धूमपान के संबंध में चेतना की कमी है। इस वर्ष के विश्व तंबाकू निषेध दिवस (31 मई) की थीम ‘तंबाकू छोड़ने का प्रण है।’

पूरी तरह से किया जाए प्रतिबंधित: तंबाकू व्यापार और उपभोग पर लेश मात्र भी अंकुश नहीं लग पाया। तंबाकू के धुएं से 500 हानिकारक गैसें एवं 7000 अन्य रासायनिक पदार्थ निकलते है, जिनमें निकोटीन और टार प्रमुख हैं। धूमपान में 70 रासायनिक पदार्थ कैंसरकारी पाए गये हैं। सिगरेट की तुलना में बीड़ी पीना ज्यादा नुकसानदायक होता है। हमारे देश में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष अधिक धूमपान करते हैं। जब कोई धूमपान करता है तो बीड़ी या सिगरेट का धुआं पीने वाले के फेफड़ों में 30 फीसद जाता है और आसपास के वातावरण में 70 फीसद रह जाता है, जिससे परिवार के लोग और उसके मित्र भी प्रभावित होते हैं, जिसको हम परोक्ष धूमपान कहते हैं।

एक साथ कई बीमारियों को दावत: विश्वभर में होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत मौतों का कारण धूमपान है। धूमपान के परिणामस्वरूप रक्त का संचरण प्रभावित हो जाता है, ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, सांस फूलने लगती है और नित्य क्रियाओं में भी अवरोध आने लगता है। धूमपान से होने वाली प्रमुख बीमारियां हैं: ब्रांकाइटिस, एसिडिटी, टीबी, ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, फॉलिज, नपुंसकता, माइग्रेन, सिरदर्द, बालों का जल्दी सफेद होना आदि। यदि महिलाएं गर्भावस्था के दौरान परोक्ष या अपरोक्ष रूप से धूमपान करती हैं तो उनके होने वाले नवजात शिशु का वजन कम होना, गर्भाशय में ही या पैदा होने के बाद मृत्यु हो जाना व पैदाइशी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

कोरोना संक्रमितों को ज्यादा खतरा: दुनिया में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की कुल संख्या लगभग 17 करोड़ पहुंच चुकी है, जबकि इससे मरने वालों की संख्या 34 लाख से अधिक हो चुकी है। यह वैश्विक आपदा 21वीं सदी की अब तक की सबसे बड़ी आपदा साबित हुई है। इसने लगभग 100 साल पहले हुई एक बड़ी आपदा स्पैनिश फ्लू की याद दिला दी है, जिससे पूरी दुनिया में लगभग पांच करोड़ लोगों की मौत हुई थी और भारत में लगभग दो करोड़ लोगों की मौत हुई थी। भारत में भी कोरोना ने अपना विकराल रूप धारण किया हुआ है। अब तक ढाई करोड़ से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके है तथा लगभग तीन लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है। ज्ञात रहे कि कोरोना मानव शरीर की कोशिकाओं में एसीई-2 रिसेप्टर्स के माध्यम से प्रवेश करता है। धूमपान न करने वालों की तुलना में धूमपान करने वालों के फेफड़ों में एसीई-2 की संभावना ज्यादा पाई जाती है, जिससे इन व्यक्तियों को कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इस प्रकार यह साफ है कि धूमपान करने वालों में एसीई-2 कोरोना संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती है।

बढ़ जाती है संक्रमण के प्रसार की संभावना: तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति तंबाकू को बार-बार थूकते हैं, जिससे आसपास के लोगों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार बीड़ी, सिगरेट व अन्य धूमपान करने पर बार-बार हांथों से मुंह को छूना व मुंह से धुआं छोड़ने पर आसपास के लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा अत्याधिक बढ़ जाता है। कोरोना महामारी के समय में तंबाकू व धूमपान को घर पर रहकर छोड़ने का पूर्ण प्रयास करें और कोरोना संक्रमण से बचें। कोरोना संक्रमण से सळ्रक्षित रहने के लिए एन-95 मास्क का प्रयोग करें, हाथों को समय-समय पर धुलते रहें व सैनिटाइज करते रहें साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करें। सबसे ज्यादा जरूरी वैक्सीन है, जो आपके लिए सुरक्षा कवच है। इसलिए जैसे ही आपका नंबर आए वैक्सीन की दोनों डोज अवश्य लगवाएं।

10 लाख धूमपान करने वाले लोगों ने (एक्शन आन स्मोकिंग एंड हेल्थ (ऐश) संस्था की गणना के अनुसार) कोविड-19 के दौरान लगभग धूमपान बंद कर दिया और लगभग पांच लाख 50 हजार ने छोड़ने का प्रयास किया। करीब 24 लाख लोगों में सिगरेट पीने की दर पहले से कम पाई गई है। कहा जा सकता है कि कोविड-19 ने लोगों को धूमपान छुड़ाने के लिए एक अप्रत्याशित अवसर प्रदान किया है। तंबाकू का सेवन प्रत्येक व्यक्तिके लिए नुकसानदायक है। महामारी के दौर में इस घातक बीमारी से बचने के साथ-साथ धूमपान छोड़ने के लिए हमें इस आपदा को अवसर में बदलना होगा। इसके लिए अपने चिकित्सक से ऑनलाइन संपर्क कर सकते हैं। निकोटिन रेपलेस्मेंट थेरेपी की सहायता ले सकते है। धूमपान छोड़ने में सहायक मोबाइल एप्स का भी उपयोग करें।

कमाई कम नुकसान ज्यादा: तंबाकू के व्यवसाय में भारत काफी अग्रणी है। विश्वभर में तंबाकू के उत्पाद एंव उपयोग के संबंध में भारत दूसरे स्थान पर है। तंबाकू के दुष्प्रभावों को देखते हुए इसके उत्पादन तथा ब्रिकी दोनों पर रोक लगाना इससे बचने का एकमात्र उपाय है। हालांकि इसके लिए दो कुतर्क दिए जाते हैं कि तंबाकू उत्पाद से लगभग तीन करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है तथा इससे काफी राजस्व की प्राप्ति होती है। राजस्व की प्राप्ति एक मिथक ही है, क्योंकि वित्त मंत्रालय के 2015-2016 के आंकड़ों के अनुसार तंबाकू के उत्पादों से प्रतिवर्ष 31,000 करोड़ रूपये अर्जित होते हैं, जबकि हम 1,04,500 करोड़ रुपये तंबाकू के दुष्प्रभावों से हो रही प्रमुख बीमारियों पर ही खर्च कर देते हैं। जाहिर है कि तंबाकू से नुकसान कहीं अधिक है। इसीलिए इसे एक अभिशाप कहा जा सकता है। इसके उत्पादन, पैकिंग और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए।


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