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World Hepatitis Day 2021: चिंता न करें, दवा से ठीक हो जाएंगे हेपेटाइटिस के रोगी

संजय गांधी पीजीआइ के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रो. प्रवीर राय के मुताबिक गर्भवती महिलाओं की एंटी नेटल चेकअप (एएनसी-गर्भावस्था के दौरान होने वाली जांच) वीजा लेते समय ऑपरेशन कराने या फिर रक्तदान के समय हेपेटाइटिस बी व सी की जांच की जाती है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 07:15 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 12:27 PM (IST)
World Hepatitis Day 2021: चिंता न करें, दवा से ठीक हो जाएंगे हेपेटाइटिस के रोगी
खून की जांच से हो सकते हैं हेपेटाइटिस संक्रमण की आशंका से निश्चिंत।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। खून की सामान्य जांच से हेपेटाइटिस 'बी' और 'सी' का पता लगाया जा सकता है, क्योंकि मरीज में शुरुआती लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे में स्थिति गंभीर होने पर ही रोग का पता चलता है। कई बार तो बीमारी की जानकारी तब होती है जब मरीज को लिवर सिरोसिस या फिर लिवर कैंसर हो चुका होता है। विशेषज्ञों ने कहा कि यदि संक्रमण हो भी गया तो चि‍ंता की कोई बात नहीं। दवाओं से बिल्कुल ठीक हो सकते हैं।

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हेपेटाइटिस का पता लगाने के लिए स्क्रीनि‍ंग उपाय : संजय गांधी पीजीआइ के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रो. प्रवीर राय के मुताबिक गर्भवती महिलाओं की एंटी नेटल चेकअप (एएनसी-गर्भावस्था के दौरान होने वाली जांच), वीजा लेते समय, ऑपरेशन कराने या फिर रक्तदान के समय हेपेटाइटिस बी व सी की जांच की जाती है। इस संक्रमण के हाई रिस्क ग्रुप में संक्रमित मां से बच्‍चे, चिकित्सा पेशे से जुड़े लोग, ऐसे मरीज जिन्हें रक्त चढ़ाया गया हो, सिरि‍ंज से ड्रग लेने वाले आते हैं। इसलिए संक्रमण का पता लगाने को स्क्रीनि‍ंग सबसे जरूरी है।

संक्रमित रक्त बनता है कारण : प्रो. गौरव पाण्डेय के मुताबिक संक्रमण, दूषित रक्त के संपर्क में आने और असुरक्षित यौन संबंध से भी यह रोग फैलता है। हेपेटाइटिस बी के वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय टीकाकरण है। जागरूकता के अभाव में 30 प्रतिशत से भी कम लोगों को इस बीमारी की जानकारी है। वायरस के कारण लिवर की कोशिकाएं धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती रहती हैं और व्यक्ति लिवर सिरोसिस की गिरफ्त में आ जाता है। ऐसी स्थिति में एक मात्र इलाज लिवर प्रत्यारोपण ही है।

क्या है हेपेटाइटिस : पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रो. मोइनक सेन शर्मा के मुताबिक जब हेपेटाइटिस वायरस का संक्रमण हो जाता है तो लिवर से अधिक मात्रा में एंजाइम्स निकलने लगते हैं। इस कारण विषैले तत्व शरीर के बाहर नहीं निकल पाते हैं, इससे शरीर को नुकसान पहुंचता है। इस वायरस के संक्रमण का शिकार ब'चे बहुत तेजी से हो रहे हैं।

हेपेटाइटिस बी व सी की गंभीर स्थिति : विशेषज्ञों का कहना है कि इलाज न मिलने से लिवर सिकुड़ जाता है। इस स्थिति को लिवर सिरोसिस कहते हैं। इसके अलावा मरीज को लिवर कैंसर भी हो सकता है। वहीं, क्रॅानिक हेपेटाइटिस सी में यह विषाणु शरीर में ही पलता रहता है। इस संक्रमण के बाद लिवर पूरी तरह से काम करना बंद दे तो प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है।

हेपेटाइटिस बी का इलाज संभव : प्रदेश के लगभग 12 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं। लीवर सिरोसिस के लगभग 20 फीसद रोगियों को बीमारी के अंतिम चरण में कैंसर हो सकता है। भारत में सी वायरस जीनो टाइप थ्री का इलाज 24 हफ्ते में और जीनो टाइप वन का इलाज 48 हफ्ते में हो जाता है। इस बीमारी के 80 फीसद रोगियों को ठीक किया जा सकता है। हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन वायरस के प्रभाव को रोकने में और इस संक्रमण के होने की संभावना को कम करती है। वहीं, एंटी वायरल दवाओं द्वारा हेपेटाइटिस सी का उपचार संभव है। इसकी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

ऐसे हो सकता है हेपेटाइटिस बी और सी

  • संक्रमित सुइयों के इस्तेमाल
  • संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने पर
  • बिना सही जांच के संक्रमित रक्त चढ़ाया गया हो
  • संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से
  • टैटू बनवाने, नाक-कान छिदवाने
  • दूसरों के टूथ ब्रश, रेजर के इस्तेमाल से

यह हैं लक्षण

  • अनावश्यक थकान
  • सिर में दर्द और हल्का बुखार
  • त्वचा और आंखों का रंग पीला पडऩा
  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
  • पेट में पानी भरना
  • पाचन संबंधी समस्याएं और दस्त
  • त्वचा में जलन, खुजली और लाल रंग के चकत्ते पडऩा
  • भूख न लगना, वजन में गिरावट
  • देर से पता लगने पर मुंह से खून आना
  • पीले रंग का पेशाब होना व पैरों में सूजन

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