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World Brain Stroke Awareness Day: तीन घंटे में मिले इलाज, तो सुरक्षित हो सकता है ब्रेन

World Brain Stroke Awareness Day ब्रेन इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रो. विवेक स‍िंह बताते हैं कि दो तरह के स्ट्रोक होते हैं-हिमैरजिक और इस्केमिक। दोनों में इंटरवेंशन की महत्वपूर्ण भूमिका है। 30 से 40 फीसद में इंटरवेंशन (नसों के जरिए दिमाग का उपचार) के जरिए परेशानी को कम किया जा सकता है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 08:15 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 07:10 PM (IST)
World Brain Stroke Awareness Day: तीन घंटे में मिले इलाज, तो सुरक्षित हो सकता है ब्रेन
दो फीसद से कम लोग स्ट्रोक पडऩे पर समय से पहुंचते हैं विशेषज्ञ के पास।

लखनऊ, जेएनएन। World Brain Stroke Awareness Day: ब्रेन स्ट्रोक पडऩे के बाद एक-दो फीसदी लोग ही समय से विशेषज्ञ के पास पहुंच पाते हैं। ब्रेन स्ट्रोक पडऩे पर दो से तीन घंटे के अंदर सही इलाज मिल जाए तो मरीज को परेशानी से बचाया जा सकता है। ब्रेन स्ट्रोक के बाद तुरंत सीटी स्कैन कर इलाज की दिशा तय की जाती है।

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ब्रेन इंटरवेंशन रेडियोलॉजिस्ट प्रो. विवेक स‍िंह बताते हैं कि दो तरह के स्ट्रोक होते हैं-हिमैरजिक और इस्केमिक। दोनों में इंटरवेंशन की महत्वपूर्ण भूमिका है। 30 से 40 फीसद में इंटरवेंशन (नसों के जरिए दिमाग का उपचार) के जरिए परेशानी को कम किया जा सकता है। इस्केमिक स्ट्रोक में रक्तवाहिका में थक्का बन जाता है और नस फट जाती है, इसमें स्ट्रोक पडऩे के दो से तीन घंटे के अंदर थक्के को निकाल देते हैं। इसके लिए जरूरी है कि मरीज दो घंटे के अंदर पहुंच जाए। हिमैरजिक स्ट्रोक में नस में एन्यूरिज्म (गुब्बारा) बन जाता है, जिसमें क्वायल (छल्ला) डालकर रक्तस्राव को रोकते हैं।

चार घंटे में टीपीए देने से कम होता नुकसान

संस्थान के न्यूरोलाजी विभाग की प्रो. रुचिका टंडन कहती हैं कि स्ट्रोक पडऩे के पहले चार घंटे काफी अहम हैं। चार से 4.5 घंटे के अंदर मरीज को यदि टीपीए (टिशू प्लाजमींजेन एक्टीवेटर) रसायन दिया जाए तो उसे ब्रेन स्ट्रोक के कारण होने वाली तमाम परेशानी से बचाया जा सकता है। इमरजेंसी में यदि मरीज को तीन से 3.5 घंटे के अंदर लाया जाता है तो इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर न्यूरोलाजी के विशेषज्ञों से संपर्क कर सीटी स्कैन कराने के बाद तुंरत दवा देते हैं। यह रसायन केवल इस्केमिक स्ट्रोक में ही कारगर है। देश में हर साल एक लाख लोगों में से 73 लोग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होते हैं।

70 फीसदी में होता है इस्केमिक स्ट्रोक

ब्रेन स्ट्रोक के शिकार 70 फीसद लोगों में इस्केमिक स्ट्रोक होता है। बाकी ब्रेन हैमरेज का कारण हिमैरजिक होता है। ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होने वाले 40 फीसदी लोग की उम्र 40 वर्ष से कम होती है। 40 फीसद लोगों में स्ट्रोक का कारण उच्च रक्तचाप और 17 फीसद लोगों में कोलेस्ट्राल का बढ़ा स्तर होता है। स्मोकिंग और एल्कोहल भी स्ट्रोक का बड़ा कारण है।

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ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

- चेहरा एक तरफ लटके

- एक हाथ में बल न लगना

- बोलने में लडख़ड़ाहट

- सिर में तेज दर्द

- एकदम से देखने में एक या दोनों आंख में परेशानी

- एक दम से चक्कर आना 


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