आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा के खिलाफ महिला ने लखनऊ में दर्ज कराया केस, खुद को बताया पत्नी
आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई है। यह रिपोर्ट खुद को उनकी पत्नी बताने वाली दीप्ति शर्मा ने दर्ज करायी है। इसकी जांच एसआईटी को सौंपी गई है।
लखनऊ, जेएनएन। गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) प्रकरण में आरोपित आईपीएस अधिकारी डॉ.अजय पाल शर्मा के खिलाफ कानून का शिकंजा कस रहा है। रविवार को राजधानी लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गई है। यह एफआईआर खुद को अजय पाल शर्मा की पत्नी बताने वाली दीप्ति शर्मा ने दर्ज करायी है। इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई है।
वहीं आईपीएस अधिकारी डॉ.अजय पाल शर्मा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप में शासन ने विजिलेंस को उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच करने का निर्देश दिया है। गौतम बुद्ध नगर प्रकरण में ही आरोपित एक अन्य आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार और मुख्य सचिव के पूर्व निदेशक मीडिया दिवाकर खरे के खिलाफ विभागीय जांच के निर्देश दिये गए हैं। शासन ने यह कार्रवाई गौतम बुद्ध नगर प्रकरण की जांच के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद की है।
हजरतगंज कोतवाली में दीप्ति शर्मा की ओर से दर्ज करायी गई एफआईआर में आरोप है कि साजिश के तहत डॉ. अजय पाल शर्मा ने उद पर कई मुकदमे लिखवाकर जेल भिजवा दिया। इस मामले में गाजियाबाद के साहिबाबाद निवासी चंदन राय, वरिष्ठ उप निरीक्षक विजय यादव सहित कई अन्य को भी आरोपित बनाया गया है। दीप्ति शर्मा ने मामले की शिकायत शासन में की थी, जिसकी जांच के बाद कार्रवाई हुई है।
राजेंद्र नगर साहिबाबाद, गाजियाबाद निवासी दीप्ति शर्मा के मुताबिक वर्ष 2016 में उनकी शादी डॉ. अजय पाल शर्मा से हुई थी। डॉ. अजय पाल शर्मा तब गाजियाबाद में एसपी सिटी के पद पर तैनात थे। आरोप है कि डॉ. अजय पाल के अफेयर के कारण उनके संबंध खराब होने लगे, जिसकी शिकायत दीप्ति ने पुलिस, महिला आयोग आदि को भी की थी।
सभी आरोप निराधार : डॉ. अजय पाल शर्मा
आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा का ने कहा कि मीडिया के माध्यम से एफआईआर के बारे में जानकारी मिली है। पूर्व में मेरी ओर से इस संबंध में जांच अधिकारी को बयान दिया जा चुका है। मुझ पर लगाए गए सभी आरोप निराधार है।
घर में घुसकर सामान ले जाने का आरोप
दीप्ति का आरोप है कि रामपुर से 18 सितंबर, 2019 को डॉ. अजय पाल शर्मा के कुछ लोग उनके घर पर आए थे। आरोपितों में आईपीएस के दोस्त बृजेश राना, मथुरा व अन्य लोग शामिल थे। आरोपित दीप्ति के घर से लैपटॉप, डीवीआर, टैब व अन्य सामान उठा ले गए थे। दीप्ति ने इसकी शिकायत डीआईजी रेंज मेरठ से भी की थी। 11 अगस्त, 2019 को दीप्ति की डॉ. अजय पाल से फोन पर काफी लड़ाई भी हुई थी। आरोप है कि इस झगड़े के बाद डॉ. अजय पाल उसके पीछे पड़ गए थे।
चुपके से एफआईआर फिर एनबीडब्ल्यू
आरोप है कि डॉ. अजय पाल शर्मा के इशारे पर उनके दोस्त गोविंदपुरम, गाजियाबाद निवासी हरिओम ने मार्च 2019 में ही अज्ञात महिला पर दो लाख रुपये ठगी की एफआईआर साहिबाबाद थाने में करा दी थी। इसे दीप्ति के साथ जोड़कर उनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर दिया गया। 19 अगस्त, 2019 को दीप्ति साहिबाबाद थाने में नोनीहाल नाम के व्यक्ति के खिलाफ घर में घुसकर तोड़फोड़ करने की शिकायत लेकर पहुंची थी। तहरीर के मुताबिक पुलिस ने दीप्ति को उनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी होने की बात कहकर गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद दीप्ति के बैग में मौजूद पांच फोन दारोगा विजय यादव ने ले लिया था, जिसमें तमाम सुबूत मौजूद थे। दीप्ति तब से गाजियाबाद जेल में बंद हैं।
दर्ज किए कई मुकदमे
तहरीर में लिखा है कि डॉ. अजय पाल शर्मा ने दीप्ति के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कराए हैं ताकि वह उनके खिलाफ बयान न दे सके। दीप्ति ने गाजीपुर निवासी चंदन राय पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दीप्ति के मुताबिक उनके कब्जे से लिए गए पांच फोन बाद में चंदन राय के पास पहुंच गए थे। फोन में अजय पाल के खिलाफ काफी सुबूत थे, जिसे चंदन ने नष्ट कर दिया था।
विवादों में आया था डॉ. अजयपाल शर्मा का नाम
गौतमबुद्धनगर (नोएडा) के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने भी आइपीएस अजय पाल शर्मा, डॉ. हिमांशु कुमार, राजीव नारायण मिश्र समेत पांच आईपीएस अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद से शासन ने एसआईटी जांच के आदेश दिए थे। एसआईटी ने शासन को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी। आईपीएस अफसर वैभव कृष्ण को बाद में शासन ने निलंबित कर दिया था। इस प्रकरण में एसआईटी ने आइपीएस अधिकारी डॉ. अजय पाल शर्मा के बयान भी दर्ज किए थे।