झाड़ फूंक और रूहानी इलाज करने वालों पर नजर रखेंगे मुख्य चिकित्सा अधिकारी
राज्य सरकार ने हलफनामा देकर सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है कि सभी सीएमओ को झाड़ फूंक और रूहानी इलाज करने वाले धार्मिक स्थलों की जांच पड़ताल करने के निर्देश दिए गए हैं।
नई दिल्ली [प्रेट्र]। उत्तर प्रदेश में सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को झाड़ फूंक और रूहानी इलाज करने वाले धार्मिक स्थलों की जांच पड़ताल करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि वहां किसी प्रकार के मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो। राज्य सरकार ने हलफनामा देकर सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी।
बदायूं की एक दरगाह में रूहानी इलाज के नाम पर जंजीरों से बांधकर रखे गए 17 मानसिक रोगियों के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह बताया कि उसने इस तरह के इलाज को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर बदायूं के मामले को उठाया गया था।
राज्य सरकार ने बताया कि यह मामला सामने आने के बाद उसने कमेटी का गठन किया था। कमेटी के सदस्यों ने दरगाह का निरीक्षण किया और वहां जंजीरों से बांध कर रखे गए सभी 17 लोगों को तत्काल छोड़ने का निर्देश दिया।
सरकार ने कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य विभाग ने सभी सीएमओ को जिला प्रशासन के सहयोग से रूहानी इलाज करने वाले धार्मिक स्थलों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया है। सीएमओ से इस तरह के स्थानों की पहचान करने को भी कहा गया है। सीएमओ और मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 के प्रावधानों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
हलफनामे में यह भी बताया गया कि मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड गठित करने और उत्तर प्रदेश मानसिक स्वास्थ्य सेवा नियमावली बनाने के प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजे गए हैं।
इससे पहले, इस मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि मानसिक रूप से बीमार पुरुष या महिला को जंजीरों में बांध कर रखने की अनुमति नहीं दी जा सकी। अदालत ने इसे 'नृशंस' और 'अमानवीय' करार दिया था।
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