Move to Jagran APP

बैक्टीरिया पर क्यों बेअसर हो रही हैं दवाएं, मरीज खुद से डोज को कर रहे ब्रेक

लखनऊ केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. वेद प्रकाश ने बताया कि चिकित्सा जगत में दबे पांव एक भयावह समस्या खड़ी हो रही है। यह है मरीजों द्वारा एंटीबायोटिक के अंधाधुंध या मनमर्जी सेवन करने से होने वाला मल्टी ड्रग रजिस्टेंस जो बेअसर कर देता है

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 03:23 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 03:23 PM (IST)
बैक्टीरिया पर क्यों बेअसर हो रही हैं दवाएं, मरीज खुद से डोज को कर रहे ब्रेक
जीवनरक्षक दवाओं को और बचानी मुश्किल हो जाती है मरीज की जान...

लखनऊ, जेएनएन। अभी भले ही बेजा एंटीबायोटिक के प्रयोग पर समाज का फोकस न हो। मगर, मल्टी ड्रग रजिस्टेंस के बढ़ते मामले दुनिया को आगाह कर रहे हैं। कारण, अस्पतालों के इंटेसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती होने वाले करीब 50 फीसद मरीज सेप्सिस (संक्रमण) के आ रहे हैं। सेप्सिस के इन कुल मरीजों में से आधे मल्टी ड्रग रजिस्टेंस (एमडीआर) के होते हैं।

loksabha election banner

लिहाजा, इन मरीजों के शरीर में पैबस्त बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक टेबलेट से लेकर इंजेक्शन तक बेअसर हो रहे हैं। शरीर पर जीवन रक्षक दवाएं बेअसर होने से मरीज संक्रमण से उबर नहीं पा रहे हैं। ऐसे में धीरे-धीरे वह मल्टीआर्गन फेल्योर की कंडीशन में चले जाते हैं। यानी कि उनके अंग काम करना बंद कर देते हैं और वह असमय मौत का शिकार हो जाते हैं। देशभर में तमाम मरीजों का यूं ही जीवन समाप्त हो रहा है।

मरीज खुद से डोज को कर रहे ब्रेक: कोरोना काल में व्यक्ति जहां स्वास्थ्य के प्रति सजग हुआ। वहीं हेल्थ मानीटरिंग के प्रति भी रुझान बढ़ा। इसमें घर में ही मेडिकल डिवाइस से हेल्थ पैरामीटर मापकर डाक्टरों से आनलाइन सलाह का चलन भी काफी तेजी से बढ़ा है। वहीं कोरोना काल में कई मरीजों ने कई डाक्टरों से परामर्श कर डबल एंटीबायोटिक कोर्स कर डाला, जो सेहत के लिहाज से ठीक नहीं। वहीं तमाम मरीजों ने एंटीबायोटिक का बीच मे ही कोर्स बंद कर दिया। जिसका दुष्प्रभाव लेकर अब मरीज पोस्ट कोविड ओपीडी में पहुंच रहे हैं। ऐसा ही मरीज अन्य बीमारी के इलाज में करते हैं। डाक्टर ने जिस एंटीबायोटिक का कोर्स तीन या पांच दिन का लिखा उसे राहत मिलने पर बीच में ही छोड़ देते हैं। ऐसे में शरीर में मौजूद बैक्टीरिया पूरी तरह समाप्त नहीं होता है, बल्कि अपना स्वरूप बदल लेता है। लिहाजा, अगली बार इन मरीजों पर यह एंटीबायोटिक बेअसर साबित हो जाएगी।

कैसे होता है सेप्सिस: यदि शरीर में कोई बैक्टीरिया हमला करता है, तो ऐसी दशा में बाडी का रिस्पान्स आता है। इसे सिस्टेमिक इंफ्लेमेटरी रिस्पांस सिंड्रोम (सर्स) कहते हैं। इससे इम्यून सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है। यह शरीर को नार्मल करने के लिए संघर्ष करता है। इस दौरान इम्यून सिस्टम-इंफेक्शन के बीच शरीर को बचाने के लिए संघर्ष होता है। इस दौरान शरीर के जो सेल्स नुकसानग्रस्त हो जाते हैं, उससे सेप्सिस बन जाता है।

बीमारियों के खिलाफ हथियार है एंटीबायोटिक: वायरस, बैक्टीरिया का हमला अब बढ़ रहा है। जांचों का दायरा बढ़ने से व्यक्ति में गंभीर बीमारियां भी उजागर हो रही हैं। वहीं एंटीबायोटिक की रेंज सीमित है। यह एंटीबायोटिक डाक्टरों के पास एक हथियार की तरह हैं। इनके जरिए मरीजों को मुश्किलों से समयगत उबारा जा सकता है। ऐसे में यदि ड्रग रजिस्टेंस का दायरा बढ़ेगा तो हालात मुश्किल होंगे। लिहाजा, इन हथियारों को सुरक्षित रखना है तो एंटीबायोटिक का अंधाधुंध प्रयोग रोकना होगा।

खतरनाक हैं संकेत: एंटीबायोटिक का सबसे बेजा इस्तेमाल विकासशील देशों में हो रहा है। यदि नई एंटीबायोटिक खोजने पर काम तेजी से नहीं हुआ तो 2050 तक स्वास्थ्य को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। वहीं एंटीबायोटिक के बढ़ते प्रयोग से मरीज सेप्सिस का शिकार हो रहा है। इसमें लंग सेप्सिस के 35 फीसद और यूरो सेप्सिस के 25 फीसद मामले होते हैं। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में 2050 तक एक करोड़ लोग एंटीबायोटिक के प्रतिरोध के चलते जान गंवा देंगे।

घातक है हाई डोज: ड्रग रजिस्टेंस का सबसे बड़ा कारण छोटी-छोटी बीमारियों में हाई एंटीबायोटिक का सेवन करना है। यह काम मरीज को तात्कालिक राहत देने के लिए झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है और मरीज इससे अनजान रहता है। ऐसे में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल मरीजों के स्वास्थ्य पर तो विपरीत प्रभाव डालता ही है, दूसरी तरफ बढ़ता ड्रग रजिस्टेंस हेल्थ सेक्टर के लिए चुनौती खड़ा कर रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.