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विजय दिवसः 1971 भारत-पाक युद्ध में जब इंडियन आर्मी ने पकड़ा था पाकिस्तानी सेना का जनरल

वर्ष 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना की ऐतिहासिक विजय के 50 वर्ष पूर्ण हो गए। युद्ध स्मारक स्मृतिका पर मध्य कमान सेनाध्यक्ष ले. जनरल योगेंद्र सिंह ढिमरी ने बलिदानियों को नमन किया। कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने श्रद्धांजलि दी।

By Dharmendra MishraEdited By: Published: Thu, 16 Dec 2021 01:25 PM (IST)Updated: Thu, 16 Dec 2021 02:35 PM (IST)
मध्य कमान के युद्ध स्मारक पर मनाया गया विजय दिवस।

लखनऊ, जागरण संवाददाता।  वर्ष 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना की ऐतिहासिक विजय के गुरुवार को 50 वर्ष पूर्ण हो गए। लखनऊ समेत पूरे प्रदेश व देश में इसे विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शहर में इस युद्ध के जांबाजों को याद करने के लिए कई आयोजन किए गए। मध्य कमान युद्ध स्मारक स्मृतिका पर मध्य कमान सेनाध्यक्ष ले. जनरल योगेंद्र सिंह ढिमरी ने बलिदानियों को नमन किया।

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कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल के वार मेमोरियल पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित किया।

पाकिस्तानी जनरल नियाजी को पकड़ कर लाया गया जबलपुरः ब्रिगेडियर एचसी शर्मा ने युद्ध के अपने अनुभव साझा करते बताया कि युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना के जनरल नियाजी को पकड़कर जबलपुर लाया गया था। आर्मी आर्डिनेंस कोर के एक भवन के कमरे में उनको और पाकिस्तानी नेवल के अफसरों को रखा गया था। कई माह तक जनरल नियाजी को बाहर नहीं निकलने दिया गया तो उन्होंने अपने दांत में दर्द की बात कही। बोले मैं दांत का डाक्टर नहीं था इसलिए आर्मी मुख्यालय को सूचना दी। एक दांत का डाक्टर आया तो बताया कि जनरल नियाजी को मिलिट्री हास्पिटल के डेंटल सेंटर ले जाना पड़ेगा। उनको डेंटल सेंटर ले जाया गया। तब जनरल नियाजी ने कहा कि दांत दर्द के बहाने ही सही बाहर निकलने को मिला। इसी तरह एक पाकिस्तानी जनरल को दो कमरे मिले थे। उन्होंने एक कमरा बंद कर रखा था। सूचना पर आर्मी आर्डिनेंस कोर के अधिकारी आए। पता चला कि जनरल ने अपने कमरे में चिड़ियों काे बंद कर रखा है।

लखनऊ के जांबांजो को मिला था युद्ध में मेडलः कैप्ट मनोज पांडेय सैनिक स्कूल के रजिस्ट्रार ले. कर्नल उदय प्रताप सिंह ने बताया कि इस संस्थान के तीन जांबाजों को सन 1971 के भारत-पाक युद्ध में मेडल मिला था। इसी तरह पूर्व छात्र कर्नल समर विजय सिंह ने बताया कि सन 1971 में एनडीए में चयन से पहले उनको युद्ध के समय वालिंटियर के रूप में लगाया गया था। स्टेशन पर सेना के जवानों को खानपान देने के साथ शहर में बत्ती बंद रखने का दायित्व वह निभाते थे। कर्नल आदित्य प्रताप सिंह ने कारगिल युद्ध के अपने अनुभव साझा किए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने यहां के छात्र कैडेटों से मुलाकात भी की।

सूर्या कमान ने भी मनाया विजय दिवस : सूर्या कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने 1971 के युद्ध के वीर शहीदों को सूर्या कमान के युद्ध स्मारक स्मृतिका पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। इस समारोह में 1971 युद्ध के पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और सूर्या कमान के सेवारत सभी रैंकों ने भी भाग लिया और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। समारोह के बाद, लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने पूर्व सैनिकों के साथ बातचीत की। उन्होंने पूर्व सैनिकों और वीर नारियों को उनके अमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त किया और सभी उपस्थित सैनिकों को भारतीय सशस्त्र बलों के गौरवशाली गुणों और परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

भारत ने किए पाक के दो टुकड़ेः दिसंबर 1971 में एक तेज सैन्य आक्रमण में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान पर एक निर्णायक और शानदार जीत हासिल की। 03 दिसंबर 1971 को शुरू हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से काम लिया और परिणामस्वरूप एक नए राष्ट्र  बांग्लादेश का निर्माण हुआ। 16 दिसंबर 1971 को ढाका में लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी और लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के बीच आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा वार्षिक स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह की समापन की यादगार में भी यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। 

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