उत्तर प्रदेश में बदले मौसम ने मचाई तबाही, बारिश-ओलावृष्टि और वज्रपात
उत्तर प्रदेश में बदले मौसम ने गुरुवार रात कुछ स्थानों पर भारी तबाही मचाई। तेज हवा, बारिश, उपलवृष्टि और वज्रपात से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में बदले मौसम ने गुरुवार रात कुछ स्थानों पर भारी तबाही मचाई। तेज हवा, बारिश, उपलवृष्टि और वज्रपात से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। पेड़ गिरे, घर ढहे और बिजली आपूर्ति ध्वस्त हो गई। दलहनी और तिलहनी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा। हालांकि गेहूं की फसल के लिए बारिश लाभकारी रही लेकिन खेत में भरा पानी और गिरी फसल किसानों की चिंता बढ़ा रही है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक अफगानिस्तान के निकट प्रशांत महासागर की हलचल के कारण मौसम में यह तब्दीली आई है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक तबाही
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में दर्जनों मकानों की छत व दीवार गिर गई, जिसमें 44 से अधिक लोग घायल हो गए जबकि चार लोगों की मौत हो गई। हालांकि शुक्रवार को पश्चिमी उप्र के जिलों में मौसम साफ रहा, लेकिन घुमड़ते बादलों के बीच सर्द हवाएं चलीं। वहीं पूर्व और मध्यपूर्वी प्रदेश के जिलों में शुक्रवार को भी झमाझम बारिश और ओलावृष्टि के साथ ही कुछ स्थानों पर वज्रपात हुआ। ठंड बढ़ गई। मुरादाबाद, अमरोहा में ओले से सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा। गजरौला के गांव रहदरा व मोहम्दाबाद में आंधी-बारिश से एक दर्जन मकान गिरे, कोई जनहानि नहीं हुई। सम्भल सुबह घना कोहरा रहा। मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, एटा और कासगंज, आगरा में शुक्रवार को धूप निकली।
तीन दिन तक लगातार बरसा पानी
मध्य यूपी में लखनऊ और आसपास के जिलों लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश के बीच शुक्रवार सुबह कई जिलों के कुछ हिस्सों में बारिश और ओलावृष्टि हुई। ठंड बढ़ गई। दलहनी फसल को भारी नुकसान पहुंचा। अयोध्या, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, सुलतानपुर व श्रावस्ती में शुक्रवार सुबह हल्की बरसात के साथ ओलों की भी बारिश हुई। सीतापुर, बाराबंकी, हरदोई, लखीमपुर व अंबेडकरनगर में चली तेज हवाओं ने खेतों में खड़ी सरसों व गेहूं की फसल लोट गई। रायबरेली, अमेठी व अंबेडकरनगर में मौसम में उतार-चढ़ाव का क्रम जारी है। प्रयागराज में शुक्रवार को ठंडी हवाएं चलने से गलन बरकरार रही। वज्रपात से मकान की छत में दरार आ गई जबकि कौशांबी के मंझनपुर में मंदिर में लगे विद्युत उपकरण फुंक गए।
किसी की मौत आई किसी को जख्म मिले
बिजनौर के गांव रवाना में बारिश और चक्रवाती तूफान से दर्जनों घरों की छत व दीवारें गिर गईं। बेगमपुर, धींवरपुरा, बेरखेड़ा, महमूदपुर, बलिया नंगली में मकानों के मलबे के नीचे दबकर 44 से अधिक ग्रामीण घायल हुए, जिसमें 11 लोगों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। विद्युत पोल गिरे। बागपत के खपराना गांव में वज्रपात से बचने को किसान मनोज की दीवार से टकरा गया, जिसमें उनकी मौत हो गई। बड़ौत मकान पर पेड़ गिरने से नूरजहां की मौत हो गई। बुलंदशहर में बारिश से सदरपुर में मंदिर की दीवार गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। खतौली में आश्रम की कोठरी में पेड़ गिरने से सरधना निवासी सतबीर की मौत हो गई। फुलत गांव में रविदास मंदिर का भाग गिर गया। कार पर पेड़ गिरने से एक व्यक्ति घायल हो गया।
समुद्री जलतरंगों का टकराव बना ओलावृष्टि का कारण
समुद्र के भीतर जलतंरगों के आपस में टकराव के कारण तापमान इस कदर बढ़ा कि वाष्पीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से पानी काफी ऊंचाई तक पहुंच गया। यह पाकिस्तान की सीमा पार कर उत्तरी भारत के अधिकांश हिस्सों में बारिश और ओले गिरने का सबब बना। नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. पद्माकर त्रिपाठी के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ से हवा का दबाव कम हो गया और वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज हो गई। यह प्रक्रिया नवंबर से मार्च के बीच चलती है। अभी एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहने के आसार हैं। इससे मौसम का यह मिजाज 11-12 फरवरी तक खिंच सकता है।