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मेहनत से वाटरमैन 'मलिक' बना पुलिस का हीरो, एसपी ने किया सम्मानित

पिता की डांट सुनकर उड़ीसा से हरदोई आकर वाटरमैन कहलाने वाले गयाधर ने बनाई अपनी पहचान। एसपी कार्यालय में पानी पिलाने वाला वाटरमैन गयाधर मलिक बच्चों की तरह पौधों की सेवा करता है। एसपी ने खुद उसे हीरो के रूप में सम्मानित किया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 03:20 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 03:20 PM (IST)
मेहनत से वाटरमैन 'मलिक' बना पुलिस का हीरो, एसपी ने किया सम्मानित
पिता की डांट सुनकर उड़ीसा से हरदोई आकर वाटरमैन कहलाने वाले गयाधर ने बनाई अपनी पहचान।

हरदोई, जेएनएन। पुलिस विभाग में काम से पहचान की मुहिम में एक ऐसा छोटा सा कर्मचारी सामने आया, जिसने अपनी मेहनत के बल पर अलग पहचान बनाई है। एसपी कार्यालय में पानी पिलाने वाला वाटरमैन गयाधर मलिक बच्चों की तरह पौधों की सेवा करता है। उड़ीसा से घर छोड़कर आए मलिक ने सेवाभाव से ही नौकरी पाई और सभी के दिलों में स्थान बना लिया। उसकी सफलता की कहानी पर एसपी ने खुद उसे हीरो के रूप में सम्मानित किया।

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मूल रूप से उड़ीसा के केंन्द्रापाड़ा जिला निवासी गयाधर मलिक 1981 में पिता की डाट से नाराज होकर घर से चले आए थे। मलिक को यह खुद नहीं पता था कि पिता की डाट भी उसकी जिंदगी बना देगी। उड़ीसा से वह सीधा लखनऊ आया और वहां पर प्लमबरिंग करने लगा। पांच साल लखनऊ में काम करने के बाद किसी तरह हरदोई पहुंचा। मलिक बताते हैं कि बचपन से ही उनके मन में सेवाभाव था। पुलिस कर्मियों के बीच उसे उठना बैठना पसंद था जिस पर वह एसपी कार्यालय पहुंचा और शिकायत लेकर आने वालों को पानी पिलाने का काम शुरू कर दिया। वहीं पर आम के चार पौधे लगाए, फरियादियों और अधिकारियों को पानी पिलाकर वह पौधों की भी सेवा करता। उसके सेवाभाव को देखकर ही तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुमताज अहमद ने तीस जुलाई 1990 को वाटरमैन के रूप में नियुक्त कर दिया। मलिक हिंदी नहीं जानता था, पुलिस कर्मियों और फरियादियों से हिंदी बोलना सीखा। मेहनत और समर्पण की भावना से उसे नौकरी मिल गई तो वह पत्नी लक्ष्मी और बच्चों को लेकर आ गया और हरदोई का ही होकर रह गया। मलिक के हाथों तीन दशक पहले लगाए गए पौधे एसपी कार्यालय में बाग का रूप ले चुके हैं। अपनी मेहनत से ही उसने हर्बल गार्डन तैयार किया है।

बेटा विपिन बीए कर रहा तो बेटी सपना बीटीसी कर चुकी है। एसपी अनुराग वत्स बताते हैं कि वाटरमैन मलिक से उन्होंने उड़ीसा से हरदोई तक की कहानी पूछी तो पता चला कि सच में वह हीरो है।


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