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स्वर्ण सिंहासन सहित स्वर्ण मंडित होंगी रामलला के गर्भगृह की दीवारें

आचार्य किशोर कुणाल का एलान जल्द ही इस बारे रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों से करेंगे एलान। मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ राशि के सापेक्ष सोमवार को दो करोड़ के चेक के साथ सौंपेंगे पहली किस्त।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 12:20 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 12:20 PM (IST)
स्वर्ण सिंहासन सहित स्वर्ण मंडित होंगी रामलला के गर्भगृह की दीवारें
स्वर्ण सिंहासन सहित स्वर्ण मंडित होंगी रामलला के गर्भगृह की दीवारें

अयोध्या [रघुवरशरण]। रामलला के गर्भगृह की दीवारें स्वर्णमंडित होंगी। यह प्रस्ताव है, पूर्व आइपीएस अधिकारी एवं पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का। जल्दी ही वे यह प्रस्ताव मंदिर निर्माण के लिए गठित श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों के सामने रखेंगे और ट्रस्ट ने यदि उन्हें इजाजत दी तो वे गर्भगृह की दीवारें स्वर्णमंडित कराएंगे। उनकी चाहत उस सिंहासन को भी सोने का बनवाने की है, जिस पर भव्य मंदिर में रामलला को स्थापित कराया जाएगा। कुणाल यह स्पष्ट करना नहीं भूलते कि इसके लिए वे कोई दान नहीं लेंगे, बल्कि उनका महावीर मंदिर ट्रस्ट अपने कोष से यह सब कुछ करेगा।

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गत नौ नवंबर को रामलला के हक में आए सुप्रीम फैसले के साथ आचार्य कुणाल ने रामलला के प्रस्तावित मंदिर के लिए 10 करोड़ की राशि दान सालाना दो करोड़ के हिसाब से देने का एलान किया था। इसी एलान के अनुरूप वे दान की पहली किस्त के रूप में दो करोड़ रुपये का चेक लेकर शनिवार को देर रात रामनगरी पहुंचे। वे सोमवार को जिलाधिकारी अनुज कुमार झा को यह चेक सौंपेंगे। 
 
आचार्य कुणाल आइपीएस अधिकारी रहते वे पीएमओ में अयोध्या प्रकोष्ठ के जिम्मेदार अधिकारी रहे हैं। गुजरात में एडीजी रहते स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद उन्होंने सेवा और अध्यात्म के प्रकल्प संचालित करने के लिए पटना और बिहार के कुछ अन्य स्थलों के अलावा रामनगरी को केंद्र बनाया।  वे सुप्रीमकोर्ट में राममंदिर के पक्षकार भी रहे हैं। इस विवाद के अंत में उनकी कृति 'अयोध्या रिविजिटेड' को अहम माना जाता है। 
 
रामलला के दर्शनार्थियों के लिए चलाते हैं रामरसोई
आचार्य किशोर कुणाल रामलला के दर्शनार्थियों के लिए निश्शुल्क रामरसोई संचालित करते हैं। गत वर्ष एक दिसंबर से शुरू उनकी रसोई में प्रतिदिन आठ सौ से एक हजार दर्शनार्थी भोजन करते हैं। 

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