स्कॉटलैंड में उठी भारतीय क्रांतिवीरों के सम्मान में आवाज, बताया इतिहास को फिर से लिखने की जरूरत
1857 के विद्रोह को लगभग सभी भारतीय इतिहासकार इसे स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी लड़ाई मानते हैं। स्कॉटलैंड में भी भारतीय क्रांतिवीरों के पक्ष में आवाज उठी और इतिहास को फिर से टटोलने और लिखने की जरूरत को बताया गया है।
लखनऊ, जेएनएन। 1857 के विद्रोह का स्वरूप शुरू से ही विवादस्पद विषय रहा है। इसे सैनिक विद्रोह, क्रांति, गदर और स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम आदि भी कहा जाता है। भारतीय इतिहासकारों ने इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा देकर क्रांतिवीरों के साहस और जज्बे का खूब सम्मान किया। वहीं, अंग्रेजी इतिहासकारों ने इसके लिए एक अलग दृष्टिकोण अपनाया। अंग्रेजी इतिहासकारों ने अपना दृष्टिकोण अपनाते हुए 1857 के विद्रोह को एक सिपाही या फौजी विद्रोह मात्र ही बताया है। शुरू में कुछ भारतीय इतिहासकारों ने भी इसे सैनिक विद्रोह का, पर अब लगभग सभी भारतीय इतिहासकार इसे स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी लड़ाई मानते हैं। स्कॉटलैंड में भी भारतीय क्रांतिवीरों के पक्ष में आवाज उठी और इतिहास को फिर से टटोलने और लिखने की जरूरत को बताया गया है।
स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग में रह रहे भारतीय मूल के 26 वर्षीय डॉक्टर मजूमदार ने ये मांग उठाई है कि एडिनबर्ग में लखनऊ की घेराबंदी के दौरान लड़ी लड़ाई में मृत ब्रिटिश सैनिकों की याद में बने स्मारक में भारतीय विद्रोहियों को गलत तरीके से बयां किया गया है, जिसे बदला जाना चाहिए। ब्रिटिश सैनिकों के पक्ष में लगी पट्टिका में भारतीय क्रांतिवीरों को साम्राज्यवादी सोच वाले की तरह उल्लेखित किया गया है, जो गलत है। पट्टिका के जरिए 72 भारतीय क्रांतिवीरों का अपमान किया गया है, इसे हर हाल में बदला जाना चाहिए। इस सबंध में इतिहाविद् रवि भट्ट कहते हैं, ये सच है कि ये विद्रोह योजनाबद्ध नहीं था, उसमें नेतृत्व की भी कमी थी, पर फिर भी उसे सैनिक विद्रोह मात्र मानना गलत होगा। स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए क्रांतिवीरों का सम्मान होना चाहिए।