Vikas Dubey Encounter: सुप्रीम कोर्ट में UP सरकार का जवाब-सही थे विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर
Vikas Dubey Encounter सरकार ने कोर्ट में अपने जवाब में कहा कि विकास दुबे और उसके साथियों का एनकाउंटर सही था। सभी दुर्दांत अपराधी थे। इनके एनकांउटर को फर्जी कहना गलत है।
लखनऊ, जेएनएन। दुर्दांत गैंगस्टर विकास दुबे के दस जुलाई को कानपुर में एनकाउंटर के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि हिस्ट्रीशीटर पांच लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे और उसके साथियों का एनकाउंटर सही था। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
सरकार ने कोर्ट में अपने जवाब में कहा कि सभी दुर्दांत अपराधी थे। इन सभी के एनकांउटर को उनको फर्जी कहना गलत है। कानपुर के चौबेपुर में सीओ व तीन दारोगा सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपित विकास दुबे के एनकाउंटर पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि यह मुठभेड़ फेक नहीं थी। पुलिस ने दुबे समेत उसके गुर्गों को मार गिराए जाने को लेकर पुलिस ने कोर्ट में शुक्रवार को अपना विस्तृत जवाब दाखिल किया। यूपी पुलिस ने कहा कि एनकाउंटर सही थे। उन्हेंं फर्जी मुठभेड़ नहीं कहा जा सकता है।
कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे और गुर्गों ने आठ पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया था। गांव में देर रात तक चले एनकाउंटर में विकास दुबे और उसके कई साथी फरार हो गए थे। इसके बाद यूपी एसटीएफ ने आठ दिनों के भीतर पांच एनकाउंटर करते हुए कई आरोपियों को ढेर कर दिया था। कई दिनों तक पांच लाख रुपये के इनामी गैंगस्टर विकास दुबे को ढूंढने के बाद वह नौ जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था। यूपी एसटीएफ वहां से दुबे को कानपुर लेकर आ रही थी, तभी अगले दिन यानी दस जुलाई की सुबह उसका एनकाउंटर किया गया। यूपी एसटीएफ ने दावा किया कि पुलिस की गाड़ी पलटने की वजह से दुबे भागने की कोशिश करने लगा। उसने पुलिस से बंदूक छीन ली और फायरिंग भी की। इसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए दुबे को ढेर कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में इस मामले की जांच सीबीआई, एनआइए या एसआइटी से करवाने की मांग की गई है। इसके साथ मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की खुद निगरारी करे। इस मामले में कोर्ट ने कोई अंतिम फैसला नहीं दिया है, लेकिन यह संकेत जरूर दिया है कि इस मामले की जांच के लिए कोई आयोग का गठन किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि वो इस मामले की हर रोज हो रही जांच के आधार पर निगरानी नहीं कर सकता है।