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Vikas Dubey Encounter : हाई कोर्ट ने SIT और न्यायिक आयोग की मांग वाली याचिका की खारिज

हाई कोर्ट ने विकास दुबे एनकाउंटर केस की जांच के लिए एसआईटी गठित करने और हाई कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग के गठन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 02:22 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 06:38 AM (IST)
Vikas Dubey Encounter : हाई कोर्ट ने SIT और न्यायिक आयोग की मांग वाली याचिका की खारिज
Vikas Dubey Encounter : हाई कोर्ट ने SIT और न्यायिक आयोग की मांग वाली याचिका की खारिज

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कानपुर के अपराधी विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने और हाई कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग के गठन की मांग करने वाली याचिका को बलहीन करार देते हुए खारिज कर दिया। यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस करुणेश सिंह पवार की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा पहले ही एसआईटी व न्यायिक आयोग का गठन किए जाने के आधार पर पारित किया। हालांकि पीठ ने याची को यह छूट दी है कि इस मामले मे उचित अवसर पर वह नई याचिका दाखिल कर सकती है।

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वकील नंदिता भारती ने याचिका दाखिल कर कानपुर के अपराधी विकास दुबे एनकाउंटर केस की जांच के लिए एसआईटी गठित करने, साथ ही पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच करवाने की मांग की थी। साथ ही याचिका में राज्य सरकार को पुलिस मुठभेड़ों के लिए यथोचित दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिए जाने की मांग भी की गई थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिका का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार साही ने तर्क दिया कि उक्त मामले की जांच के लिए 11 जुलाई को ही राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करते हुए, जांच विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है।

इसके बाद 12 जुलाई को राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसके अग्रवाल को इस प्रकरण की जांच के लिए एकल आयोग के तौर पर नियुक्त किया है। ये आयोग विकास दुबे से मुठभेड़ की जांच के अलावा दो जुलाई की रात्रि में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या, विकास दुबे के साथियों के साथ पुलिस की हुई सभी मुठभेड़ों व विकास की पुलिस विभाग के लोगों के साथ साठगांठ की भी जांच करेगा। आयोग ऐसी घटना की पुनुरावृत्ति रोकने के संबंध में भी अपने सुझाव देगा। अपर महाधिवक्ता का तर्क दिया कि जब सरकार ने पहले ही वह सब कदम उठा लिये हैं जिसके लिए याची ने कोर्ट का रूख किया है तो ऐसे में याचिका बलहीन हो गई है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए।

बता दें कि कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल विकास दुबे का 10 जुलाई की सुबह पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से कोर्ट में पेशी के लिए लाते वक्त कानपुर शहर से पहले ही सचेंडी क्षेत्र में सड़क पर जानवरों को बचाने के चक्कर में एसटीएफ की कार पलटी तो कुछ पल के लिए पुलिसकर्मी हल्की बेहोशी की हालत में आ गए। इस दौरान विकास ने एक इंस्पेक्टर की पिस्टल छीन ली और भागने की कोशिश की तो पुलिस ने उसका पीछा किया। विकास के पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने के जवाब में एसटीएफ और पुलिस टीम के सदस्यों ने उसे ढेर कर दिया। मुठभेड़ में एसटीएफ के दो जवान भी घायल हुए हैं। इस पांच लाख रुपये इनामी बदमाश को 9 जुलाई की सुबह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था।


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