Vikas Dubey Case: दुर्दांत विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद Audio और चैट लगातार वायरल, पहले पसरा था सन्नाटा
Vikas Dubey Case विकास दुबे के दस जुलाई को कानपुर में एनकाउंटर के बाद जारी हो रहे उसके ऑडियो के जारी करने वाले भी संदेह के घेरे में हैं।
लखनऊ, जेएनएन। कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस की टीम पर हमला करने के बाद सीओ सहित आठ की हत्या करने का मुख्य आरोपित विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से लगातार चर्चा में हैं। विकास दुबे के दस जुलाई को कानपुर में एनकाउंटर के बाद जारी हो रहे उसके ऑडियो के जारी करने वाले भी संदेह के घेरे में हैं। इन सभी ऑडियो से ही उसके इतना बड़ा अपराधी होने की जानकारी हो रही है, इससे पहले तो वह इतनी चर्चा में शायद ही रहा हो।
विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से ही ईडी के साथ ही आयकर विभाग तथा तमाम जांच एजेंसियां बेहद सक्रिय हो गई हैं, जिनको विकास दुबे के काले कारोबार की अभी तक खबर नहीं थी। दावा है कि विकास दुबे दर्जनों बार विदेश यात्रा पर गया था और उसकी बैंकाक तथा दुबई में 50 करोड़ से अधिक की प्रापर्टी है, लेकिन वह किस पासपोर्ट पर विदेश गया था, इसकी जानकारी तो विदेश मंत्रालय को भी नहीं है। उसका पासपोर्ट कहां बना था, यह बड़ी पहली है। विकास दुबे की भारत में हजारों करोड़ की प्रॉपर्टी की जानकारी तो उसकी पत्नी को भी नहीं है, लेकिन जांच एजेंसियां प्रॉपर्टी खंगालने में लगी हैं।
एनकाउंयर के बाद अब हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के कई ऑडियो तथा चैट भी वायरल हो रहे हैं। इनको कौन और कहां से वायरल कर रहा है, इसकी जानकारी किसी को भी नहीं हो पा रही है। पुलिस इनकी जांच की बात तो कर रही है लेकिन जांच हुई नहीं। उसके ऑडियो, वीडियो और व्हाट्सएप चैट के वायरल होने की बाढ़ सी आ गई। करीब-करीब हर रोज एक नया ऑडियो दुबे के नाम से जारी होने लगा।
विकास दुबे के नाम से शनिवार को एक ऑडियो वायरल हुआ जिसमें कोई और व्यक्ति बात कर रहा है। उससे बात करने वाले ने फोन पर यह कहा भी, इस पर जवाब मिला कि अब यही समझ लो कि विकास दुबे ही बात कर रहा है। इसके बाद एक व्हाट्सएप चैट किसी और नंबर से वायरल की गई। इसमें विकास दुबे का कहीं नाम नहीं था मगर यह जरूर था कि विकास दुबे कोर्ट में वकील के वेष में सरेंडर करने की फिराक में था। इसके साथ ही उसने कपड़े, जूते और 20 लाख रुपए ग्वालियर या वाराणसी में मंगाए थे।
यह तो सामने आ ही गया है कि विकास दुबे का काला कारोबार पुलिस के साथ जिला प्रशासन की मदद से लगातार बढ़ता जा रहा है। उसके सम्पर्क में पुलिस महकमे के कई ऐसे लोग जुड़े थे, जिनके घर तक उसका आना-जाना था। इनमें से कई अभी भी अच्छी जगह तैनात हैं। कानपुर में इस केस को डील करने वाले सभी अधिकारी इस तथ्य से वाकिफ हैं और कुछ लोगों के नाम भी प्रकाश में आ चुके हैं जो यह खेल खेल रहे हैं। वह सब खुद भी अधिकारी हैं, इस कारण पुलिस ने फिलहाल इस पर चुप्पी साध रखी है।
प्रदेश भर में हो रही विकास और उसके खजांची जय की प्रॉपर्टी की तलाश
एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में मारे गए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और जेल में बंद उसके खजांची जय बाजपेई की कानपुर के अलावा दूसरे जिलों की प्रॉपर्टी की जोरों से तलाश हो रही है। माना जा रहा है कि इनका भी जल्द ही राजफाश होगा। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों को पत्र भेजकर इन दोनों और करीबियों की संपत्तियों का ब्योरा मांगा है। बिकरू गांव में दो जुलाई की रात हुई पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले की जांच एसआइटी कर रही है।
एसआइटी ने विकास प्राधिकरणों को विकास व जय सहित 56 लोगों की सूची भेजी है। इसमें 18 नाम विकास दुबे के स्वजन के हैं, जबकि दो नाम ससुराल पक्ष से हैं। बाकी बचे लोग उसके करीबी या घटना के आरोपित हैं। पत्र में इन लोगों की संपत्तियों के अलावा यह भी पूछा गया है कि कहीं यह लोग विकास प्राधिकरणों में ठेका आदि लेकर आर्थिक लाभ तो नहीं ले रहे हैं। इसके अलावा यह भी पूछा है कि क्या उक्त लोगों ने किसी सरकारी जमीन पर कब्जा तो नहीं किया है। कानपुर के अलावा लखनऊ, गाजियाबाद और नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरणों से विशेष रूप से विकास एंड कंपनी के बारे में जानकारी मांगी गई है।
घरों में रहते थे पुलिस वाले
जय बाजपेई के ब्रह्मनगर और नजीराबाद इलाके में कई मकान हैं। इन मकानों में बजरिया थाना और नजीराबाद थाने के पुलिस वाले रहते थे। पैसा भी नहीं देते थे। इसी के चलते वह कई काम इन पुलिस कर्मियों की मदद से करवा लेता था। इसकी बानगी भी उस वक्त दिखी थी जब भारी संख्या में पुलिस बल ने जय बाजपेई के घर पर दबिश दी थी। इस दौरान रजयकांत पुलिस कर्मियों के साथ हंसी-ठिठोली करते हुए देखा गया था। इस घटना के बाद कुछ पुलिस कर्मियों ने तत्काल कमरे खाली कर दिये और कुछ खाली करने के प्रयास में हैं और दूरी बनाये हुए हैं।
इन प्रमुख स्वजन व रिश्तेदारों का मांगा ब्योरा
विकास के दादा देवीप्रकाश दुबे, पिता रामकुमार, चाचा बृजकिशोर, मां सरला, पत्नी रिचा, भाई दिलीप व अविनाश, भाई की पत्नी अंजलि, भतीजे रामजी व श्याम जी, चचेरा भाई आशीष, पुत्र आकाश व शांतनु, बहनोई दिनेश तिवारी व कमलेश तिवारी, बहन चंद्रप्रभा व रेखा, भांजा अमन तिवारी, साला राजू खुल्लर, ससुर संकटा प्रसाद से उनकी प्रॉपर्टी का सारा लेखा-जोखा मांगा गया है।