Move to Jagran APP

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ कल्बे सादिक का निधन

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ कल्बे सादिक का मंगलवार की रात एरा हॉस्पिटल में निधन हो गया है। वह कई दिनों से भर्ती थे। मौलाना सादिक को 17 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 11:05 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 06:25 AM (IST)
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ कल्बे सादिक का निधन
शिया धर्म गुरु मौलाना डॉ कल्बे सादिक का मंगलवार की रात एरा हॉस्पिटल में निधन हो गया है।

लखनऊ, जेएनएन। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का मंगलवार देर रात निधन हो गया। राजधानी स्थित एरा मेडिकल कालेज में 17 नवंबर से उनका इलाज चल रहा था। बेटे मौलाना कल्बे सिब्ते नूरी ने बताया कि डॉ. कल्बे सादिक को सांस लेने में परेशानी थी। रक्तचाप व ऑक्सीजन के स्तर में लगातार गिरावट होने पर उन्हें मंगलवार शाम को गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) में शिफ्ट किया गया था। बुधवार दोपहर बाद चौक स्थित इमामबाड़ा गुफरमाब में उन्हें सिपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

loksabha election banner

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। मौलाना कल्बे सादिक का जन्म 22 जून, 1939 को लखनऊ में हुआ था। वह पूरी दुनिया में अपनी उदारवादी छवि के लिए जाने जाते थे। उन्होंने शिक्षा के लिए बहुत कार्य किए। उनके निधन से राजधानी लखनऊ समेत पूरी दुनिया में शोक की लहर फैल गई है। मौलाना इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उन्होंने धर्म व जाति से ऊपर उठकर समाज को इंसानियत का पाठ पढ़ाया।

मौलाना इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि उनका धर्म व जाति से ऊपर उठकर समाज इंसानियत का पाठ पढ़ाया। देश-विदेश में ख्याति प्राप्त डॉ. सादिक शिक्षा और खासकर लड़कियों और निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहे। यूनिटी कॉलेज और एरा मेडिकल कालेज के संरक्षक भी थे।

छिपकर हिंदी पढ़ने जाया करते थे मौलाना : मौलाना कल्बे सादिक ने अपनी शुरुआती शिक्षा अंग्रेजी में हासिल की, लेकिन लालबाग में एक पंडित जी के पास वह हिंदी पढ़ने जाया करते थे। उस जमाने में उर्दू का ज्यादा चलन था। उस वक्त किसी ने उनको टोका भी कि हिंदी की क्या जरूरत है, क्यों पढ़ने जाते हो, तब भी वह बुजुर्गों से छिपकर हिंदी पढ़ने जाया करते थे।

बड़ी सरलता से यूं बात कहते कि दिल में उतर जाए : मौलाना कल्बे सादिक बड़े जाकिर (इमाम हुसैन की शहादत का हाल बयान करने वाला) भी थे। उन्हें जाकिर-ए-फातेह- ए-फुरात का लब्ज मिला था। वह बड़ी सरलता से बगैर चीखे अपनी बात यूं कहते कि बात दिल में उतर जाए। उनके सामईन (श्रोता) का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता गया, उसी एतबार से उनकी तकरीर के मौजू (विषय) बदलते गए। उनके श्रोताओं में गैर शिया लोग भी हुआ करते थे। वह हमेशा इस बात का ख्याल रखते थे कि हम अपनी बात कहें, कोई ऐसी बात न करें जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे।

यह भी पढ़ें : डॉ. कल्बे सादिक ने शिक्षा को बढ़ावा देने में लगा दी पूरी जिंदगी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.