नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन में यूपी की सातवीं रैंक, अपर मुख्य सचिव ने डीएम व सीएमओ को दिए सुधार के निर्देश
अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने शुक्रवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के डीएम व सीएमओ को को निर्देश दिए कि वह जिला व विकास खंड स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से अस्पतालों का औचक निरीक्षण करें।
लखनऊ, [राज्य ब्यूरो]। अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए गुणवत्ता प्रमाणीकरण पर जोर दिया जाएगा। इससे आसानी से पता चलेगा कि अस्पतालों में क्या कमियां हैं। अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने शुक्रवार को वीडियो कान्फ्रेंङ्क्षसग के माध्यम से सभी जिलों के डीएम व सीएमओ को को निर्देश दिए कि वह जिला व विकास खंड स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से अस्पतालों का औचक निरीक्षण करें। संसाधनों की उपलब्धता और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें। नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन में देश भर में यूपी की सातवीं रैंक है। प्रमाणीकरण पर और जोर देकर यूपी के प्रदर्शन को बेहतर बनाया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) द्वारा अस्पतालों में गुणवत्ता सुधार के लिए आयोजित की गई कार्यशाला में उन्होंने कहा कि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने व राजकीय चिकित्सा इकाईयों में गुणवत्ता बनाने के लिए केंद्र सरकार नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन, लक्ष्य सर्टिफिकेशन और कायाकल्प अवार्ड स्कीम चला रही है। प्रदेश की 44 चिकित्सा इकाईयां नेशनल क्वालिटी एश्योरेस सर्टिफिकेशन और 20 चिकित्सा इकाईयां लक्ष्य सर्टिफिकेशन ले चुकी हैं। 2020-21 में कायाकल्प अवार्ड योजना के अंतर्गत 800 चिकित्सा इकाईयां अवार्ड की अर्हता पा चुकी हैं। कार्यशाला में एनएचएम, उप्र की निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने कहा कि डीएम क्वालिटी एश्योरेंस कमेटी की नियमित बैठक जरूर करें ताकि तेजी से सुधार हो सके। कार्यक्रम में दिल्ली स्थित सफदरगंज अस्पताल के माइक्रोबायोलाजी विभाग की प्रोफेसर डा.मालिनी कपूर ने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के विषय में जानकारी दी।
अवध बार चुनाव की शर्तों में हाई कोर्ट ने बढ़ाई छूट: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अवध बार एसोसिएशन के चुनाव में प्रतिभाग करने वाले अधिवक्ताओं के लिए निर्धारित शर्तों में कुछ छूट दी है। जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने 24 अगस्त को पारित अपने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि चुनाव में प्रतिभाग करने वाले बार के सदस्य अधिवक्ताओं के वर्ष 2019 में दस और 2020 में पांच मुकदमे दाखिल होने चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश संशोधन प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई करते हुए पारित किया। दरअसल कोर्ट ने अवध बार के चुनाव में 14 अगस्त को कुछ अधिवक्ताओं के खराब आचरण की वजह से मतदान रद कर दिया था और अगले चुनाव में शामिल होने के लिए प्रत्याशियों व मतदाताओं के लिए सख्त नियम बना दिये थे। इससे आहत होकर कई अधिवक्ताओं ने कोर्ट में अर्जी देकर शर्तो में ढील देने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण मुकदमों की कम फाइलिंग को देखते हुए यह राहत दी जा रही है। वहीं शुक्रवार के आदेश में ओथ कमिश्नरों को भी चुनाव में प्रतिभाग के योग्य माना गया है। साथ ही जिन अधिवक्ताओं को चैैंबर आवंटित हैं, वे भी प्रतिभाग कर सकेंगे।