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निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने श्रम सेवायोजन मंत्री से मांगा सहयोग

पूर्वांचल निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले तीस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में श्रम सेवायोजन मंत्री से मिलकर ज्ञापन सौंपा। तीस सदस्यीय दल ने मंत्री को सौंपा ज्ञापन निजीकरण से उपभोक्ताओं व बिजली कर्मियों का नुकसान।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 06:31 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 06:04 AM (IST)
निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने श्रम सेवायोजन मंत्री से मांगा सहयोग
लखनऊ में पूर्वांचल निजीकरण के विरोध में श्रम सेवायोजन मंत्री से मांगा सहयोग।

लखनऊ, जेएनएन। ऊर्जा क्षेत्र के दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं ने पूर्वांचल निजीकरण किए जाने के विरोध में प्रदेश के श्रम सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से मिलकर सहयोग मांगा। तीस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से मिलकर कहा कि वह पूरे प्रकरण में हस्तक्षेप करे। इस पर मंत्री ने जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर सहयोग का आश्वासन दिया है। इससे पूर्व विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी गोखले मार्ग स्थित मध्यांचल मुख्यालय पर धरने पर बैठे हैं। वहीं सांसद कौशल किशोर, विधायक जय देवी, डा. नीरज बोरा, अम्बरीश सिंह पुष्कर सहित कई विधायकों व सांसदों से संपर्क करके निजीकरण का विरोध जता चुके हैं।

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रविवार को उत्तर प्रदेश पावर आफीसर्स एसोसिएशन के वैनर तले दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओ ने एक सभा की। सभा में निजीकरण का हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय किया गया। एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में 30 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने सबसे पहले श्रम सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से उनके आवास पर रविवार को मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। इस पर मंत्री ने कहा कि वह मुख्यमंत्री से बात कर पूर्वांचल के निजीकरण को रुकवाने का प्रयास करेंगे। वही दूसरी ओर इसका सबसे ज्यादा नुकसान उपभोक्ताओं व बिजली कर्मियों का होगा। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि टोरेंट पावर कंपनी व नोएडा पावर कंपनी पूरी तरह फेल साबित हुई है। प्रतिनिधिमंडल में उत्तर प्रदेश पावर ऑफीसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के अलावा एसपी सिंह, पीएम प्रभाकर, अनिल कुमार, आरपी केन, अजय कुमार, राकेश पुष्कर, रामबरन, एसएस आर्य, मनोज सोनकर, लोकेश कुमार, प्रेम चंद्र, एचपी कौशल, अजय कनौजिया, रंजीत बाबू लाल, अश्वनी कुमार, राजकपूर गौतम, विकास दीप, प्रभाकर कुमार, राजेश कुमार, स्वेता कुमारी ने कहां यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक निजीकरण पर रोक नहीं लगाई जाती।


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