Pollution report: देश में यूपी के औद्योगिक क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित, 69 में 13 उत्तर प्रदेश के
देश के 21 राज्यों में 100 प्रदूषित इंडस्ट्रियल क्लस्टर में वायु जल व जमीन की गुणवत्ता के आधार पर हुआ सेपी (कंप्रिहेंसिव एनवायरमेंटल पॉल्यूशन इंडेक्स) का आकलन।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। वायु और नदी प्रदूषण में अव्वल रहने वाला उत्तर प्रदेश गंभीर प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्रों (पॉल्यूटेड इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स) के लिहाज से भी देश में टॉप पर है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से आठ जून को जारी वाॢषक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। देश में चिह्नित कुल 69 अति गंभीर प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्र हैं, जिनमें से 13 केवल उत्तर प्रदेश में ही हैं।
देश के 21 राज्यों में 100 प्रदूषित इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स में वायु, जल व जमीन की गुणवत्ता के आधार पर कंप्रिहेंसिव एनवायरमेंटल पॉल्यूशन इंडेक्स (सेपी) का आकलन किया गया है। इसमें 69 औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति अत्यधिक गंभीर पाई गई है। उत्तर प्रदेश के मौजूदा हालात औद्योगिकरण को बढ़ाने की कोशिशें पर पानी फेर सकतेे हैं। इसलिए क्योंकि औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब होने के कारण पर्यावरणीय मानकों के लिहाज से नई परियोजनाओं की शुरुआत में मुश्किल आती है। सीपी के स्तर में जब तक प्रभावी सुधार नहीं आता है, ऐसे क्षेत्रों में नई परियोजनाओं को मंजूरी मिलनी भी मुश्किल होगी।
यूपी की स्थिति भयावह
रिपोर्ट के अनुसार, सेपी का स्तर 70 फीसद से अधिक होने पर प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्र समूहों को क्रिटिकली पॉल्यूटेड एरिया (सीपीए) चिह्नित किया जाता है। उत्तर प्रदेश में ऐसे नौ क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है। इनमें गजरौला, गाजियाबाद, आगरा, फिरोजाबाद, बुलंदशहर-खुर्जा, मुरादाबाद, मथुरा, कानपुर, वाराणसी और मिर्जापुर शामिल हैंं। इसी प्रकार अलीगढ़, मेरठ, नोएडा व सिंगरौली कुल चार औद्योगिक समूहों में सेपी का स्तर 60 से 70 फीसद के मध्य पाए जाने पर इन औद्योगिक समूहों को अति गंभीर प्रदूषित क्षेत्र (एसपीए) की सूची में रखा गया है।
अन्य राज्यों के हालात
मंत्रालय से जारी रिपोर्ट में ऐसे प्रदूषित क्षेत्रों (सीपीए व एसपीए) की कुल संख्या के लिहाज से पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है। वहां आठ ऐसे क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। इसी प्रकार गुजरात में सात, महाराष्ट्र में छह, राजस्थान में पांच अति गंभीर प्रदूषित क्षेत्रों की पहचान की गई है। देशभर में कुल 38 क्रिटिकली पॉल्यूटेड (सीपीए) व 31 अत्यंत गंभीर प्रदूषित (एसएपी) क्षेत्रों की पहचान की गई है। पूर्व पर्यावरण निदेशक डॉ. वाईपी सिंह कहते हैं कि यह जरूरी है कि औद्योगिक क्षेत्रों का सीमांकन किया जाए। साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों को विकेंद्रित करने की जरूरत है। तभी पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विकास योजनाओं को गति दी जा सकती है।
क्या होता है सेपी!
किसी औद्योगिक क्षेत्र में सेपी (कंप्रिहेंसिव एनवायरमेंटल पॉल्यूशन इंडेक्स) के आधार पर ही औद्योगिक विकास परियोजनाओं की मंजूरी दी जाती है। इंडस्ट्रियल क्लस्टर 10 में सेपी का आकलन पर्यावरणीय गुणवत्ता की मॉनीटरिंग के आधार पर 0 से 100 फीसद के पैमाने पर किया जाता है। इसमें वायु, जल, मृदा में टॉक्सिंस की मौजूदगी, औद्योगिक गतिविधियों, प्रदूषण स्तर, स्वास्थ्य स्थिति, कचरा प्रबंधन जैसे मानकों को उक्त पैमाने पर परखा जाता है। सेपी का स्तर किसी क्षेत्र में 70 फीसद से अधिक होने पर उसे सबसे खराब अर्थात क्रिटिकली पॉल्यूटेड क्षेत्र माना जाता है, जबकि 60 से 70 फीसद के मध्य सेपी का स्तर होने पर इंडस्ट्रियल क्लस्टर को गंभीर रूप से प्रदूषित माना जाता है।