उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में लगाया एस्मा, सरकारी विभागों में छह माह तक हड़ताल पर रहेगी रोक
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में छह माह के लिए एस्मा लगा दी है। इस निर्णय से अगले छह महीने तक प्रदेश में किसी भी सरकारी विभाग सरकार के नियंत्रण वाले निगम और प्राधिकरणों आदि में हड़ताल करने पर रोक रहेगी।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में छह माह के लिए आवश्यक सेवा रख-रखाव अधिनियम (एस्मा) लगा दिया है। इस निर्णय से अगले छह महीने तक प्रदेश में किसी भी सरकारी विभाग, सरकार के नियंत्रण वाले निगम और प्राधिकरणों आदि में हड़ताल करने पर रोक रहेगी। कोई भी अधिकारी व कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर हड़ताल नहीं कर सकेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अत्यावश्यक सेवाओं के अनुरक्षण, 1996 की धारा 3 की उपधारा (1) के द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है। जिसके बाद सरकारी विभाग, सरकार के नियंत्रण वाले निगम और प्राधिकरणों आदि में हड़ताल करने पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में कार्मिक विभाग से अधिसूचना जारी कर दी गई है। आदेश के बाद कर्मचारी 25 मई तक हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे।
उत्तर प्रदेश में छह माह की अवधि के लिए हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंहल ने बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी है। उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 की धारा तीन की उपधारा एक के अधीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल ने छह माह की अवधि के लिए हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया है। इसके दायरे में उत्तर प्रदेश राज्य के कार्य-कलापों से संबंधित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी निगम के अधीन किसी सेवा तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन सेवा में हड़ताल नहीं की जा सकेगी।
बता दें कि इससे पहले भी कोरोना संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने छह महीने तक के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी थी। कोरोना के मद्देनजर वित्तीय संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने कुछ कड़े फैसले लिए थे। इसके तहत अधिकारियों-कर्मचारियों को दिए जाने वाले विभिन्न भत्तों आदि में कटौती कर दी गई थी, जिस पर तमाम कर्मचारी संगठन नाराज थे और हड़ताल की भी चेतावनी दी थी। इसे देखते हुए यह कदम उठाया गया था।
क्या है एस्मा : आवश्यक सेवा रख-रखाव अधिनियम (एस्मा) लागू होने पर हड़ताल को अवैध माना जाता है। इसमें विभिन्न आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारी शामिल किए जाते हैं। एस्मा का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को एक साल तक की सजा या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है। एस्मा लागू होने के बाद पुलिस का यह अधिकार मिल जाता है कि वह कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को बिना वॉरंट गिरफ्तार कर सकती है।