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गोरखपुर में स्थापित होगा उत्तर प्रदेश का पहला वन विज्ञान केंद्र, किसानों की आर्थिक स्थिति में आएगा सुधार

गोरखपुर में उत्तर प्रदेश का पहला वन विज्ञान केंद्र खुलने जा रहा है। इसकी स्थापना भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून करेगा। यह केंद्र किसानों वन आधारित उद्योगों और वन अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों की जानकारी प्रदान करेगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:43 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 01:54 PM (IST)
गोरखपुर में स्थापित होगा उत्तर प्रदेश का पहला वन विज्ञान केंद्र, किसानों की आर्थिक स्थिति में आएगा सुधार
गोरखपुर में उत्तर प्रदेश का पहला वन विज्ञान केंद्र खुलने जा रहा है।

लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। गोरखपुर में उत्तर प्रदेश का पहला वन विज्ञान केंद्र खुलने जा रहा है। इसकी स्थापना भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) देहरादून करेगा। यह केंद्र किसानों, वन आधारित उद्योगों और वन अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों की जानकारी प्रदान करेगा। केंद्र किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित भी करेगा। केंद्र यह भी बताएगा कि किस मौसम में कौन से पौधे लगाकर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं। यहां बीजों व पौधों की नस्लों की शोध कर उनके फायदे-नुकसान बताए जाएंगे। 

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वन विज्ञान केंद्र खुलने से किसानों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति में सुधार आएगा। यह केंद्र पर्यावरण को फायदा पहुंचाने वाले पौधे रोपित करने के लिए किसानों को प्रेरित करेगा। इसमें दुर्लभ प्रजातियों के पौधों व बीजों का संरक्षण व भंडारण भी किया जाएगा। केंद्र की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार निश्शुल्क भूमि उपलब्ध कराएगी। इसमें वैज्ञानिक, सीनियर व जूनियर रिसर्च फेलो की नियुक्ति आइसीएफआरई करेगा।

केंद्र किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए दो फसलों के बीच के समय में क्या बोया जाए इसकी भी जानकारी देगा। किसानों को पौधशाला लगाने व उससे आय बढ़ाने के लिए भी तकनीकी जानकारी केंद्र में दी जाएगी। उच्च गुणवत्ता के बीजों का वैज्ञानिक तरीके से एकत्रीकरण भी यहां किया जाएगा। प्रदेश की जलवायु के अनुसार कौन से पौधे कहां लगाए जाएं, इसकी भी जानकारी यहां दी जाएगी।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष राजीव कुमार गर्ग ने बताया कि बेहद खुशी की बात है कि प्रदेश का पहला वन विज्ञान केंद्र गोरखपुर में स्थापित होने जा रहा है। आइसीएफआरई इस केंद्र को स्थापित करेगा। यह केंद्र एक साल में काम करना शुरू कर देगा। 

केंद्र के मुख्य कार्य

  • पौधों की नस्लों में सुधार के लिए शोध
  • मिट्टी और जल संरक्षण तकनीकों के क्षेत्र अनुसंधान
  • वानिकी विस्तार, जैविक खेती और खाद बनाने की तकनीक
  • वानिकी अनुसंधान पर जागरूकता कार्यक्रम
  • वनों की सुरक्षा सहित विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण देना
  • उच्च गुणवत्ता के बीजों का एकत्रीकरण

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