उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग का घोटालों से पुराना नाता, नप चुके हैं निदेशक समेत कई अधिकारी
टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी के चलते चर्चा में आए उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग का भ्रष्टाचार और घोटालों से पुराना नाता रहा है।
लखनऊ, जेएनएन। टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी के चलते चर्चा में आए उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग का भ्रष्टाचार और घोटालों से पुराना नाता रहा है। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में पशुधन प्रसार अधिकारी भर्ती और स्लाटर हाउस घोटाला जैसे मामलों की जांच अभी अधूरी है। टैगिंग टेंडर मामले में अनियमितताओं की सुगबुगाहट भी जोर पकड़ने लगी है।
टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई विभागीय अधिकारी या कर्मचारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। दरअसल, मामला मंत्री के निजी सचिव से जुड़ा है। इससे पूर्व समाजवादी पार्टी के शासनकाल में हुए भर्ती घोटाले में निदेशक समेत आधा दर्जन से ज्यादा अधिकारी नपे थे। वर्ष 2013-14 में पशुधन प्रसार अधिकारी के 1148 पदों के लिए भर्ती में धांधली के आरोप में तत्कालीन निदेशक चरण सिंह, अपर निदेशक अशोक कुमार सिंह, जीएस द्विवेदी, हरिपाल सिंह, एपी सिंह व अनूप श्रीवास्तव को एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर जून 2019 में निलंबित कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर एसआइटी जांच में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। भर्ती में मनमाने ढंग से मानकों को नजरअंदाज किया गया था। भर्ती के लिए 100 के बजाय 80 अंकों की लिखित परीक्षा कराई गई, जबकि 20 अंक साक्षात्कार के लिए रखे गए। आरोप लगा कि साक्षात्कार के इन्हीं अंकों के आधार पर मनपसंद अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इतना ही नहीं, चुने गए अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग कराकर प्रशिक्षण भी करा दिया गया। कोर्ट में विवाद गया और अदालत ने भर्ती प्रक्रिया को दूषित करार दिया था। मुख्यमंत्री के आदेश पर 28 दिसंबर 2017 को जांच एसआइटी को सौंपी गई थी। इसके अलावा प्रमुख सचिव के आदेश पर शासन स्तर पर चल रही स्लाटर हाउस घोटाले की जांच अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। सूत्रों के मुताबिक स्लाटर हाउस में पशु चिकित्सकों की तैनाती और पोस्टमार्टम में गोलमाल की शिकायतें मिली थीं।
राज्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव समेत सात गिरफ्तार : बता दें कि पशुपालन विभाग में 214 करोड़ का टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये हड़पने के मामले में एसटीएफ ने सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इसमें पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद का प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय का संविदा कर्मी धीरज कुमार देव, कथित पत्रकार एके राजीव व खुद को पशुपालन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय शामिल हैं। फर्जीवाड़े का यह खेल वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। इसके पीछे एक आइपीएस अधिकारी, राजधानी में तैनात एक इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकर्मियों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। आरोपितों के पास से 28 लाख 32 हजार रुपये बरामद किए गए हैं। आरोपितों के खिलाफ जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज बनाने, साजिश रचने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट लिखी गई है।
बदनाम करने की साजिश, दोषियों पर सख्त कार्रवाई कराएंगे : टेंडर घोटाले के आरोपित अपने निजी सचिव के कारण चर्चाओं में आए पशुधन विकास राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद ने पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जताते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कराने की बात कही। कूल्हे की हड्डी टूटने के कारण घर पर इलाज करा रहे निषाद ने देर शाम टेलीफोन पर बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी दैनिक जागरण से ही मिली है। उन्होंने कहा कि कूल्हे की हड्डी टूटने के बाद गोरखपुर में ऑपरेशन कराया है। वह दो माह से लखनऊ भी नहीं जा सके हैं। ऐसे में पूरे मामले की जानकारी लिए बिना कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। निषाद ने इसे विभाग को और उन्हें बदनाम करने की साजिश बताया। साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कराने की बात भी कही। पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार किया।