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महिला अपराध के दोषियों को सजा दिलाने में यूपी अन्य राज्यों से आगे, NCRB की रिपोर्ट के आधार पर दावा

एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से महिला अपराध के मामलों में कार्रवाई को लेकर वर्ष 2018 में भी यूपी के अव्वल रहने का दावा किया है। उनका कहना है कि अन्य संगीन अपराधों में भी कमी दर्ज की गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 06:57 PM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 05:59 AM (IST)
महिला अपराध के दोषियों को सजा दिलाने में यूपी अन्य राज्यों से आगे, NCRB की रिपोर्ट के आधार पर दावा
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि संगीन अपराधों में कमी दर्ज की गई है।

लखनऊ, जेएनएन। हाथरस कांड को लेकर जब उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को लेकर सियासत गरमाई है, तब राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2019 की रिपोर्ट यूपी पुलिस को राहत देने वाली है। खासकर महिला अपराध के मामलों में आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई में यूपी अन्य राज्यों की तुलना में शीर्ष पर है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने एनसीआरबी की रिपोर्ट के हवाले से महिला अपराध के मामलों में कार्रवाई को लेकर वर्ष 2018 में भी यूपी के अव्वल रहने का दावा किया है। उनका कहना है कि अन्य संगीन अपराधों में भी कमी दर्ज की गई है। 

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एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार कहते हैं कि एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया 2019 में देश के 29 राज्यों व सात केंद्र शासित प्रदेशों मेें दर्ज अपराधों का विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2019 में देश में आइपीसी की धाराओं के तहत 32.25 लाख से अधिक मुकदमे पंजीकृत हुए थे, जिनमें यूपी में 3.53 लाख अपराध हुए। यह देश में पंजीकृत ऐसे मुकदमों का 10.9 फीसद है। महिला संबंधी अपराधों में यूपी पुलिस ने 15,579 आरोपितों को सजा दिलाने में कामयाबी हासिल की है, जो देश में सबसे ज्यादा है। यूपी का आरोपितों का सजा दिलाने का प्रतिशत सबसे अधिक 55.2 फीसद है।

यहां 8059 मामलों में दोषियों को सजा दिलाई गई, जबकि दूसरे नंबर पर राजस्थान में 5625 और मध्य प्रदेश में 4191 मामलों में आरोपितों को सजा दिलाई गई। 18 वर्ष से कम आयु की किशोरियों के साथ दुष्कर्म की सबसे अधिक 1314 घटनाएं राजस्थान में, 1271 केरल में और 561 आंध्र प्रदेश में दर्ज की गईं। सूबे में ऐसी 272 घटनाएं पुलिस रिकार्ड का हिस्सा बनीं। एडीजी का कहना है कि यह पुलिस की समयबद्ध विवेचना व प्रभावी पैरवी से संभव हो सका है। सूबे में महिला संबंधी कुल अपराधों की संख्या 59,853 रही और इसमें प्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में 15वें स्थान पर है।

महिला अपराध की घटनाएं राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली, केरल, हरियाणा, झारखंड समेत अन्य राज्यों में यूपी से कहीं अधिक हैं। यूपी में दुष्कर्म के करीब 3065 केस दर्ज हुए। इस मामले में उसका देश में 26वां स्थान है, जबकि राजस्थान में दुष्कर्म के सबसे अधिक 5997 केस दर्ज हुए। एडीजी का कहना है कि पिछले वर्ष प्रदेश में हत्या की 3806, डकैती की 124, हत्या के प्रयास की 4596 व लूट की 2241 घटनाएं हुईं। इन सभी में अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में गिरावट दर्ज की गई है। खासकर हिंसात्मक अपराधों में यूपी का क्राइम रेट 24.6 फीसद है और उसका देश में 15वां स्थान है।

  • कहां किस पायदान पर यूपी 
  • डकैती में 28वां स्थान 
  • लूट में 23वां स्थान 
  • हत्या में 28वां स्थान 
  • हत्या के प्रयास में 28वां स्थान 
  • दुष्कर्म में 26वां स्थान 
  • पॉक्सो एक्ट के अपराधों में 23वां स्थान

कहां आई कितनी कमी : एडीजी का कहना है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण से साफ है कि वर्ष 2018 की तुलना में बीते वर्ष हत्या के मामलों में 5.28 फीसद, डकैती में 13.89 फीसद, लूट में 30.36 फीसद व दुष्कर्म की घटनाओं में 22.33 फीसद की कमी दर्ज की गई है, जबकि एक जनवरी से 15 सितंबर की अवधि के मध्य सूबे के तीन वर्षों के अपराध के आंकड़ों की तुलना की जाए तो इस वर्ष डकैती में 33.7 फीसद, लूट में 41.61 फीसद, हत्या में सात फीसद और दुष्कर्म की घटनाओं में 27.6 फीसद की कमी दर्ज की गई है। वहीं अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न संबंधी कुल मामलों में करीब 12 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।


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