UPPCL PF Scam : EOW ने सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता के बेटे और फर्जी फर्म संचालक को किया गिरफ्तार
UPPCL PF Scam में तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता के बेटे अभिनव गुप्ता और फर्जी ब्रोकर फर्म संचालित करने वाले आशीष चौधरी को EOW मे गिरफ्तार किया है।
लखनऊ, जेएनएन। UPPCL में भविष्य निधि की रकम निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) में निवेश कराने में ब्रोकर फर्मों ने करोड़ों रुपये की दलाली खाई थी। घपले की साजिश में अहम कड़ी निकले तत्कालीन सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता के बेटे अभिनव गुप्ता को आखिरकार आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) ने लंबी छानबीन के बाद गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। ईओडब्ल्यू ने अभिनव के साथ इनफो लाइन नाम से फर्जी ब्रोकर फर्म संचालित करने वाले आशीष चौधरी को भी गिरफ्तार किया है। दोनों पर घोटाले के आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप है। बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि घोटाले में अब तक ईओडब्ल्यू पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है।
ईओडब्ल्यू ने डीएचएफएल से मिले बैंक ट्रांजेक्शन की डिटेल खंगालनी शुरू की तो उसके हाथ अभिनव गुप्ता की भूमिका के साक्ष्य लगते चले गये। सूत्रों का कहना है कि अभिनव से पूछताछ में सामने आए तथ्यों के बाद ईओडब्ल्यू ने गाजियाबाद निवासी आशीष चौधरी पर शिकंजा कसा। ईओडब्ल्यू ने अब तक जिन नौ फर्जी फर्मों को चिह्नित किया है, उनमें एक इनफो लाइन का संचालक आशीष है। आशीष ने नोएडा के एक पते पर अपनी फर्म का रजिस्ट्रेशन कराया था। डीएचएफएल के जरिये आशीष को करीब 12 करोड़ रुपये बतौर कमीशन दिए गए थे। आशीष की फर्म के खाते में गई रकम पर टीडीएस भी कटा था।
आशीष को इस रकम से करीब 60 लाख रुपये मिले थे। शेष रकम उसने अभिनव गुप्ता द्वारा बताए गए कुछ खातों में ट्रांसफर कर दी थी। आशीष ने उसके हिस्से में आये 60 लाख रुपये से एक दुकान भी खरीदी थी। सूत्रों ने बताया कि अब तक की जांच में डीएचएफएल द्वारा ब्रोकर फर्मों को 60 से 65 करोड़ रुपये दिये जाने की बात सामने आ चुकी है। यह रकम अलग-अलग किस्तों में 14 खातों में भेजी गई थी। जांच एजेंसी अब इन सभी खातों व उनके संचालकों की और गहनता से छानबीन में जुट गई है। आशंका है कि कमीशन की और रकम का ट्रांजेक्शन अन्य खातों में भी हुआ है।
उल्लेखनीय है कि भविष्य निधि घोटाले की जांच में 14 ब्रोकर फर्मों की भूमिका सामने आ चुकी है। ये फर्में मार्च 2017 से पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के संपर्क में थीं। 4122.70 करोड़ के भविष्य निधि घोटाले में हजरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराए जाने के बाद ही शासन ने इस मामले की विवेचना ईओडब्ल्यू को सौंप दी थी।
डीएचएफएल को दिखाया था पावर कारपोरेशन का रास्ता
आरोपित सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता के बेटे अभिनव ने ही डीएचएफएल को पावर कारपोरेशन का रास्ता दिखाया था। सूत्रों का कहना है कि ईओडब्ल्यू ने जिन ब्रोकर फर्मों को चिह्नित किया है, उनमें दो स्थापित फर्में हैं। इनमें से एक फर्म के जरिये अभिनव का संपर्क डीएचएफएल से हुआ था। बाद में अभिनव ने डीएचएफएल के अधिकारियों को पावर कारपोरेशन के अधिकारियों तक पहुंचाया। यही वजह है कि ईओडब्ल्यू अब पीके गुप्ता व अभिनव की भूमिका की सिलसिलेवार छानबीन कर रही है।
डीजी ने बैठक कर की समीक्षा
डीजी ईओडब्ल्यू ने गुरुवार को अधीनस्थों के साथ अहम बैठक कर अब तक की गई जांच व सामने आए तथ्यों की समीक्षा की। ईओडब्ल्यू मेरठ यूनिट के एसपी को भी लखनऊ बुलाकर कई निर्देश दिए गए हैं। अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पतों पर रजिस्टर्ड कराई गई ब्रोकर फर्मों के संचालकों की तलाश तेज की गई है।
यह है यूपी पीएफ मामला
यूपी के बिजली विभाग में जिन अफसरों व कर्मचारियों के सामान्य व अंशदायी भविष्य निधि की रकम को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने इस निधि के 4122.70 करोड़ रुपये को असुरक्षित निजी कंपनी डीएचएफसीएल में नियमों का उल्लंघन करके लगा दिया। मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट और यूपीपीसीएल सीपीएफ ट्रस्ट की निधि के कुल 4122.70 करोड़ रुपये डीएचएफसीएल में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए गए। मुंबई हाई कोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के भुगतान करने पर रोक लगाने के बाद बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि का 2267.90 करोड़ रुपये (मूलधन) फंस गया है। इसमें जीपीएफ का 1445.70 करोड़ व सीपीएफ का 822.20 करोड़ रुपये है। ईडी डीएचएफसीएल मामले की जांच पहले से कर रहा है। राज्य सरकार ने पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने का फैसला लिया है। पुलिस पहले ही UPPCL के पूर्व एमडी एपी मिश्र, तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और महाप्रबंधक व सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर चुकी है।