कानपुर के इतिहास को संजोएगा हर मेट्रो स्टेशन, यूपीएमआरसी ने शुरू किया डिजाइन बनाना
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान निर्माण कार्य बंद है लेकिन मेट्रो स्टेशनों की डिजाइन की ड्राइंग का काम शुरू कर दिया गया है।
लखनऊ , जेएनएन। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड यूपीएमआरसी ने कानपुर मेटो स्टेशनों की डिजाइन को फाइनल करने का काम शुरू कर दिया है। इसी डिजाइन पर कानपुर के सभी एलीवेटेड स्टेशन बनेंगे। कार्यदायी संस्था सिस्टरा को जिम्मेदारी दी गई है कि हर स्टेशन हवादार होने के साथ ही कानपुर की झलक दर्शाने वाला हो। उ़द़देश्य है कि जितने दिन मेटो का निर्माण कार्य बंद रहता है, इस बीच मेटो अपने इस कार्य को फाइनल टच देने का काम पूरा कर ले।
लखनऊ मेटो के एलीवेटेड व भूमिगत स्टेशनों को भी सिस्टरा ने डिजाइन किए थे और थ्री डी बनाकर अफसरों को दिखाए गए थे। कानपुर व्यापारिक दष्टिकोण से अतिमहत्वपूर्ण् शहर रहा है, इसलिए स्टेशनों की डिजाइन में इसे भी दर्शाया जाएगा। यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान निर्माण कार्य बंद है, लेकिन एक एक दिन काफी कीमत है, इस दौरान टीम ने स्टेशनों की डिजाइन की ड्राइंग का काम शुरू कर दिया है। उद़देश्य है कि यह काम ऑनलाइन चलता रहेगा।
मेल, वीडियो कॉल व फोन से संबंधित अफसरों से तर्क किया जा सकेगा और घर में बैठे बैठे इसे एक अंतिम रूप देने का काम हो सकता है। क्योंकि स्टेशनों की डिजाइन में महीनों लग जाते हैं फाइनल होने में। उन्होंने बताया कि प्रयास होगा कि लखनऊ से बेहतर सभी स्टेशन कानपुर के बने। हर स्टेशन को अलग लुक देने के साथ ही डीपीआर के मुताबिक प्रवेश व निकास द्वार बनाए जाएंगे। बाक्स सौ साल के हिसाब से होंगे डिजाइन कानपुर के प्रत्येक स्टेशन को सौ साल के हिसाब से मजबूत और डिजाइन किया जाएगा।
भविष्य में अगर भीड कई गुना स्टेशनों पर बढती है तो उनका विस्तार हो सके और मेटो मे चलने वाले यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। यही नहीं स्टेशनों पर वह सारी आकस्मिक सुविधाएं होंगी जो लखनऊ मेटो स्टेशनों पर दी गई हैं। बाक्स तीन कोच के हिसाब से होंगे स्टेशन कानपुर मेटो के सभी स्टेशन न्यू मेटो पालिसी के तहत डिजाइन किए जा रहे हैं। यह तीन कोच यानी अस्सी मीटर के होंगे। एक कोच करीब 23 मीटर का होता है, ऐसे में तीन कोच 69 मीटर की मेटो होगी और स्टेशन की लंबाई अस्सी मीटर होगी। स्टेशन ऐसे डिजाइन किए जांएगे कि अगर भविष्य में जरूरत पडे तो स्टेशनों को छह कोच के हिसाब से विस्तार दिया जा सके।