UP Weather News: नौतपा के तेज पर यास ने फेरा पानी, जानिए क्या कहता है ज्योतिष विज्ञान
ज्योतिषाचार्य विजय वर्मा ने बताया कि नौतपा यानि सूर्य जब उच्च ताप पर होता है इन नौ दिनों तक मौसम का मिजाज तल्ख होता है। गर्मी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है तथा तेज धूप और लू अपना प्रचंड रूप ले लेते हैं।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। बुधवार से शुरू हुए नौ दिन के नौ तपा की गर्मी पर यास ने पानी फेर दिया। ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक नौ तपा की गर्मी के बीच यदि बारिश नहीं हाेती है तो उस वर्ष बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में यास तूफान की वजह से मौसम में बदलाव के साथ बारिश भी शुरू हो गई है। नौ दिन के इस नौतपा ही बारिश के रुख को तय करता है। ज्याेतिष के अनुसार सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो नौतपा शुरू हो जाता है। हर साल 26 मई से आठ जून के बीच के पहले नौ दिन नौतपा की गर्मी होती है। इस नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है, जो सूर्य के प्रभाव में आ जाता है। 27 मई से 24 जून तक ज्येष्ठ मास रहेगा।
ज्योतिषाचार्य विजय वर्मा ने बताया कि नौतपा, यानि सूर्य जब उच्च ताप पर होता है, इन नौ दिनों तक मौसम का मिजाज तल्ख होता है। गर्मी अपना विकराल रूप धारण कर लेती है तथा तेज धूप और लू अपना प्रचंड रूप ले लेते हैं। हालांकि सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 14 दिन तक लगता है, लेकिन शुरुआती नौ दिनों को नौतपा कहा जाता है। इन नौ दिनों में धरती जितनी ज्यादा गर्म रहती है उतनी अच्छी बारिश होने की संभावना होती है। यास तूफान का असर होने से तापमान कम हुआ है, लेकिन अभी भीषण गर्मी के संकेत मिल रहे हैं जिससे अच्छी बारिश होने की संभावना है। आचार्य ने बताया कि सूर्य तप का प्रतीक माना जाता है और चंद्रमा को ठंडक यानि शीतलता प्रदान करने वाला कहा जाता है। सूर्य 12 राशियों और 27 नक्षत्रों में प्रवेश करता है। सूर्य कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठता है उसके प्रभाव को खत्म कर देता है।
गोमतीनगर के केंद्रीय संस्कृत विश्विद्यालय के आचार्य डा.पवन दीक्षित ने बताया कि सूर्य रोहिणी नक्षत्र में सूर्य 15 दिन तक रहेगा। अवधि के शुरुआती नौ दिनों में सूर्य की लम्बवत किरणें सीधे धरती पर पड़तीं हैं। जिससे गर्मी बढ़ने लगती है। आचार्य एसएस नागपाल ने बतायाकि सूर्य के शुरुआती सात दिन खूब तपन होती है लेकिन शुरुआती दो दिन तक बारिश ने तापमान को कम कर दिया है। किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक के रोहिणी नक्षत्र से सूर्य गुजरता है। इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है।
क्या है नौतपा का विज्ञान
आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि ज्योतिषीय ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी हैं। सूर्य घूमते हुए मध्य भारत के ऊपर आ जाता है। जब सूर्य कर्क रेखा के पास पहुंचता है, तब यह 90 डिग्री की स्थिति में आ जाता है जिससे किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। इसी वजह से तापमान बढ़ जाता है। ज्योतिष विज्ञान के सूर्य सिद्धांत में भी इसका जिक्र है। जब ज्योतिष की रचना हुई, तब से नौतपा होता चला आ रहा है।
रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव
आचार्य शक्तिघर त्रिपाठी ने बताया कि ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक रोहिणी नक्षत्र का मुख्य रुप से अधिपति ग्रह चंद्रमा है। लेकिन जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में जाता है, तो इस नक्षत्र में तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसकी एक वजह यह भी है कि रोहिणी नक्षत्र वृष राशि में आता है, और वृष राशि का स्वामी शुक्र है।