विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नितिन अग्रवाल को भाजपा का समर्थन, सपा से नरेन्द्र सिंह वर्मा
सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र में मतदान होगा। रविवार को इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से हरदोई से विधायक नितिन अग्रवाल और समाजवादी पार्टी से सीतापुर के महमूदाबाद से विधायक नरेन्द्र वर्मा ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजेश अग्रवाल के त्यागपत्र देने के कारण रिक्त उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष का पद अब भरा जाएगा। इसके लिए सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र में मतदान होगा। रविवार को इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से हरदोई से विधायक नितिन अग्रवाल और समाजवादी पार्टी से सीतापुर के महमूदाबाद से विधायक नरेन्द्र सिंह वर्मा ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के सत्रहवें विधानसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए आज समाजवादी पार्टी से विधायक नितिन अग्रवाल ने भारतीय जनता पाटी के समर्थन से तथा समाजवादी पार्टी के विधायक नरेन्द्र सिंह वर्मा ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अपना-अपना नामांकन दाखिल किया।भारतीय जनता पार्टी ने उपाध्यक्ष पद के लिए समाजवादी पार्टी के विधायक नितिन अग्रवाल को मैदान में उतारा है। समाजवादी पार्टी ने नितिन का चुनाव निर्विरोध नहीं होने देने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी ने इसके लिए सीतापुर के महबूदाबाद से विधायक पूर्व मंत्री नरेन्द्र वर्मा को मैदान में उतारकर उनका नामांकन कराया है।
प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बताया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान सोमवार को दिन में 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक विधान भवन में होगा। विधानसभा में वर्तमान समय में भाजपा के 304, समाजवादी पार्टी के 49, बहुजन समाज पार्टी के के 16, अपना दल के नौ, कांग्रेस के सात, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार, निर्दलीय तीन, असंबद्ध सदस्य दोऔर राष्ट्रीय लोकदल तथा निषाद पार्टी के एक-एक विधायक हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में नितिन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा इनके नामांकन के दौरान प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, विधि मंत्री ब्रजेश पाठक, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह व भाजपा के कई विधायक मौजूद थे। नामांकन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के सबसे बड़े दल का होता है। विपक्ष तो इस पद के लिए अपना कोई प्रत्याशी नहीं दे पाया। हमने सबसे बड़े विपक्षी दल के नितिन अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है।
समाजवादी पार्टी के नरेन्द्र वर्मा ने विधान भवन के राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन सभागार में विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया। उन्होंने नामांकन पत्र प्रमुख सचिव विधान सभा प्रदीप कुमार दुबे के समक्ष प्रस्तुत किया। उनके साथ विधानसभा में नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी, सपा के प्रदेश अध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य नरेश चंद्र उत्तम व कई पार्टी विधायक मौजूद थे। नरेन्द्र सिंह वर्मा के साथ नामांकन के दौरान बसपा के छह बागी विधायक भी आए थे।
नामांकन पत्र प्रस्तुत करने के बाद नरेन्द्र सिंह वर्मा ने कहा कि संसदीय परंपराओं के अनुरूप विधानसभा उपाध्यक्ष का पद सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल का होता है। जहां तक मेरी जानकारी है उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए आज तक चुनाव नहीं हुआ। नितिन अग्रवाल मेरे छोटे भाई हैं लेकिन वह भाजपा में हैं। सत्ता पक्ष रोज नई नजीर पेश कर रहा है, संवैधानिक परंपराओं और मर्यादाओं को तोड़ मरोड़ रहा है। मुझे भरोसा है कि यदि निर्वाचन की नौबत आती है तो विधानसभा के सदस्य अंतरात्मा की आवाज पर मुझे वोट देंगे।
नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद समाजवादी पार्टी के घोषित उम्मीदवार नरेन्द्र सिंह वर्मा ने कहा मैं समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार हूं और परंपरा के अनुसार विधानसभा उपाध्यक्ष का पद मुख्य विपक्षी दल को मिलता है। यह हमें मिलना चाहिए। नितिन अग्रवाल के संबंध में उन्होंने कहा कि वह हमारे छोटे भाई हैं, वह समाजवादी पार्टी के के टिकट पर चुनाव जीते और चुनाव जीतने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के खिलाफ काम करना शुरू कर दिया। नरेन्द्र सिंह वर्मा ने आरोप लगाया कि परंपरा के अनुसार यह पद विपक्ष को मिलना चाहिए, लेकिन भाजपा संसदीय परंपराओं को तोड़ रही है। वर्मा के नामांकन दाखिल करने के समय नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी भी मौजूद थे।
हरदोई सदर से विधायक नितिन अग्रवाल ने बताया कि मैंने चार सेट नामांकन पत्र दाखिल किया है और जिन लोगों ने मेरा नाम प्रस्तावित किया है। उनमें राकेश सिंह (हरचंदपुर से कांग्रेस विधायक), अनिल सिंह (पुरवा से बहुजन समाज पार्टी विधायक), संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन, राज्य मंत्री छत्रपाल सिंह गंगवार और विधायक राजपाल वर्मा शामिल हैं। नितिन अग्रवाल ने अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कहा कि विधानसभा का उपाध्यक्ष चुने जाने के बाद वह संविधान के प्रावधानों के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि औपचारिक रूप से भाजपा में उनका शामिल होना अभी बाकी है।
14 वर्ष बाद हो रहा है उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव
उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव 14 वर्ष बाद हो रहा है। भाजपा के राजेश अग्रवाल को इस पद के लिए जुलाई 2004 में निर्विरोध चुना गया था और उनका कार्यकाल मई 2007 तक था। इसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ। गौरतलब है कि परंपरागत तौर पर मुख्य विपक्षी दल के विधायक को ही विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया जाता रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने एसपी के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को समर्थन दिया है नितिन अग्रवाल के पिता और पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में हरदोई सदर ने विधायक नितिन अग्रवाल ने नामांकन किया है। उत्तर विधानसभा में भाजपा का पूर्ण बहुमत होने से अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे हरदोई सदर से विधायक नितिन अग्रवाल का उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष बनना तय है। नितिन के विधानसभा उपाध्यक्ष बनने से लंबे अरसे के बाद हरदोई जनपद को लालबत्ती मिलेगी। नितिन अग्रवाल को कैबिनेट मंत्री का दर्ज मिलेगा। विधानसभा उपाध्यक्ष पद के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने नरेन्द्र सिंह वर्मा के रूप में अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। समाजवादी पार्टी ने नितिन अग्रवाल का निर्वाचन निर्विरोध नहीं होने देने का फैसला किया है। पार्टी ने शनिवार को सीतापुर की महमूदाबाद सीट से छह बार के विधायक नरेन्द्र सिंह वर्मा को टिकट दिया है।
मार्च 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट से तीसरी बार चुनाव जीतने वाले नितिन अग्रवाल पिता नरेश अग्रवाल के साथ मार्च 2018 में भाजपा में शामिल हो गए थे। उन पर राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग के भी आरोप हैं। इसी आधार पर उनकी विधानसभा से सदस्यता खत्म कराने के लिए सपा विधानमंडल दल के नेता राम गोविंद चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दाखिल की थी, किंतु यह याचिका पिछले दिनों खारिज हो गई थी। विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद चूंकि विपक्ष को देने की परंपरा है, इसलिए भाजपा तकनीकी रूप से सपा के विधायक नितिन को उपाध्यक्ष बनाना चाह रही है। इससे कहने को उपाध्यक्ष का पद विपक्ष का हो जाएगा साथ ही भाजपा इसके जरिए वैश्य समुदाय को भी साध लेगी। नरेन्द्र सिंह वर्मा की कुर्मी मतदाताओं में गहरी पैठ है। पिछड़ी जाति का उम्मीदवार उतारकर सपा यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि उपाध्यक्ष का पद पिछड़ी जाति को मिलना चाहिए। सपा के अब इस निर्णय से उपाध्यक्ष पद का चुनाव रोचक हो गया है।