UP TET प्रमाणपत्र आजीवन मान्य होने का आदेश जारी, 5 साल की सीमा खत्म कर दी गई 21 लाख अभ्यर्थियों को राहत
यूपी टीईटी प्रमाण पत्र आजीवन मान्य किए जाने के फैसले से सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उप शिक्षा निदेशक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान एवं बीएसए को अवगत करा दिया है। इस फैसले के चलते लाखों अभ्यर्थियों के इस परीक्षा में शामिल न होने से नए अभ्यर्थियों को ज्यादा फायदा होगा।
प्रयागराज [राज्य ब्यूरो]। यूपी सरकार के 16 जून, 2021 के आदेश के संदर्भ में परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। टीईटी पास करने के पांच साल के भीतर नियुक्ति न मिलने पर फिर से टीईटी पास करने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। अब टीईटी प्रमाण पत्र आजीवन मान्य होगा। इससे अब तक सफल करीब 21 लाख अभ्यर्थियों में से नौकरी न पाने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा से राहत मिल गई है।
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए 2011 से शिक्षक पात्रता परीक्षा शुरू की गई थी। तब से सिर्फ वर्ष 2012 और कोरोना संक्रमण के कारण 2020 में यह परीक्षा नहीं हो सकी। अब तक प्राथमिक विद्यालय के लिए करीब 12 लाख और उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए करीब नौ लाख अभ्यर्थी इसमें सफल हो चुके हैं। नियुक्ति न पाने वाले 2016 व उससे पहले टीईटी कर चुके अभ्यर्थियों को पांच साल की अवधि पूरी होने जाने के कारण अब पुन: परीक्षा देनी पड़ती, लेकिन अब राहत मिल गई है।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा प्रमाण पत्र अब आजीवन मान्य किए जाने के फैसले से सोमवार को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, सभी उप शिक्षा निदेशक, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान एवं सभी बीएसए को अवगत करा दिया है। इस फैसले के चलते टीईटी कर चुके लाखों अभ्यर्थियों के अब इस परीक्षा में शामिल न होने से नए अभ्यर्थियों को ज्यादा फायदा होगा। इस तरह इस परीक्षा में अभ्यर्थी भी कम शामिल होंगे, जिससे परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर भी परीक्षा में अधिक अभ्यर्थी होने का दबाव घटेगा।
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्र की वैधता आजीवन किए जाने के बाद इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 जून, 2021 को मंजूरी दे दी है। यह आदेश 11 फरवरी, 2011 के बाद अब तक आयोजित हुईं सभी उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षाओं में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों पर लागू होगा। अभी तक यूपीटीईटी के प्रमाणपत्र की वैधता अवधि पांच वर्ष थी।
निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा एक से आठ तक में शिक्षक नियुक्त होने के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य शैक्षिक अर्हता है। प्रदेश में यूपीटीईटी के आयोजन के लिए 11 फरवरी, 2011 को शासनादेश जारी हुआ था। तब से यह परीक्षा आयोजित की जा रही है। अभी तक प्रचलित नियम के अनुसार यदि कोई अभ्यर्थी यूपीटीईटी उत्तीर्ण करने के पांच वर्ष के अंदर शिक्षक के तौर पर चयनित नहीं हो पाता था तो उसके लिए दोबारा यह परीक्षा उत्तीर्ण करना जरूरी था।