Covid19 in UP: शिक्षकों को जबरन न बुलाया जाए स्कूल, मानवाधिकार आयोग ने जारी किया नोटिस
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के जरिए इस मामले का स्वत संज्ञान लिया है। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बावजूद कई स्थानों पर शासनादेश के विपरीत शिक्षकों को प्रशासनिक कार्य के लिए स्कूल बुलाया जा रहा है। इससे शिक्षकों में नाराजगी भी है।
लखनऊ, जेएनएन। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच शिक्षकों की समस्या को भी राज्य मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने बेसिक शिक्षकों को जबरन स्कूल बुलाए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। आयोग ने अत्यंत आकस्मिक व अपरिहार्य स्थिति में ही शिक्षकोें को स्कूल बुलाए जाने का आदेश दिया है। आयोग ने अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा को नोटिस देकर एक सप्ताह में जवाब तलब किया है।
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के जरिए इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बावजूद कई स्थानों पर शासनादेश के विपरीत शिक्षकों को प्रशासनिक कार्य के लिए स्कूल बुलाया जा रहा है। इससे शिक्षकों में नाराजगी भी है और इंटरनेट मीडिया के जरिए कई शिक्षक अपना आक्रोश भी जता चुके हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें शिक्षकों के अस्वस्थ होने पर भी उनकी पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई। आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित ने नोटिस में कहा कि मीडिया में इसे लेकर आई रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि बेसिक शिक्षकों को शासन की तय नीति का उल्लंघन कर अकारण ही बेसिक स्कूलों में उपस्थित होने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
बेसिक शिक्षा के शिक्षक अमूमन कमजोर आर्थिक स्थिति के कर्मचारी हैं, जिनके पास वर्तमान समय में कोविड की चरम स्थिति में बीमार होने की दशा में इलाज के समुचित संसाधन भी उपलब्ध नहीं है। आयोग ने कहा कि अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा अपने स्तर से आदेश जारी कर यह सुनिश्चत कराएं कि केवल आकस्मिक व अपरिहार्य स्थिति में ही किसी शिक्षक को स्कूलों में उपस्थित होने के लिए बुलाया जाए। ऐसे शिक्षकों को वर्तमान स्थिति में शासन की मंशा के अनुरूप विद्यालय में बुलाकर कोरोना विस्फोट की स्थिति उत्पन्न न होने दी जाए।